Hanuman Jayanti 2025: इस गांव में नहीं होती हनुमान जी की पूजा, बजरंगबली का नाम लेते ही नाराज हो जाते हैं लोग, जाने क्या है वजह

Hanuman Jayanti 2025: उत्तराखंड के द्रोणागिरी पर्वत पर स्थित एक छोटे से गांव में हनुमान जी की पूजा नहीं की जाती। यहां हनुमान जी का नाम लेने पर भी लोग नाराज हो जाते हैं। तो आईए जानते हैं क्यों यहां के लोग नहीं करते हनुमान जी की पूजा...

Hanuman Jayanti 2025: कल 12 अप्रैल को पूरे देश में धूमधाम से हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti 2025) का त्यौहार मनाया जाएगा। सनातन धर्म में हनुमान जयंती के त्यौहार का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन बजरंगबली ( Lord Bajrangbali ) का जन्म हुआ था। अक्सर बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि खुश होंगे हनुमान राम राम किए जा।

हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए भक्त तरह-तरह के उपाय करते हैं। लेकिन भारत में एक ऐसा गांव भी है जहां हनुमान जी ( Hanuman Ji ) की पूजा नहीं होती है और अगर कोई गलती से यहां बजरंगबली का नाम ले ले तो यहां के लोग नाराज हो जाते हैं। तो आईए जानते हैं इस गांव के बारे में विस्तार से…

उत्तराखंड के इस गांव में नहीं होती है बजरंगबली की पूजा (Hanuman Jayanti 2025)

 

पूरे देश में संकट मोचन बजरंगबली की पूजा होती है लेकिन देवभूमि उत्तराखंड ( Uttarakhand ) में एक ऐसा गांव है जहां हनुमान जी के नाम से ही लोग नाराज हो जाते हैं। इस गांव में हनुमान जी का एक भी मंदिर नहीं है। उत्तराखंड में स्थित इस गांव का नाम द्रोणागिरी (Dronagiri Parvat) है और यह गांव उत्तराखंड के चमोली जिले के नीति घाटी में स्थित है।

12000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है यह गांव

Hanuman Jayanti 2025
Hanuman Jayanti 2025

इस गांव में भोटिया जनजाति के 100 परिवार रहते हैं। यह गांव 12000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। गांव के बुजुर्गों ने बताया कि हनुमान जी से नाराजगी का कारण संजीवनी बूटी ( Sanjivani buti ) है। यहां के लोग द्रोणागिरी पर्वत को अपना देवता मानते हैं और कहते हैं कि वह साक्षात रूप से उन्हें दिखाई भी देते हैं।

क्यों नहीं होती है यहां हनुमान जी की पूजा

हनुमान जी जब लक्ष्मण जी के लिए संजीवनी बूटी ले जा रहे थे तब उन्हें संजीवनी बूटी पहचान नहीं आया जिसके वजह से वह पूरा पर्वत उठाकर लेकर चले गए। संजीवनी बूटी पहचान में नहीं आने के कारण उन्होंने द्रोणागिरी पर्वत के दाएं भाग को पूरी तरह से उखाड़ लिया। यहां के लोग द्रोणागिरी पर्वत को अपना भगवान मानते हैं और उनका मानना है कि आज भी पहाड़ के दाएं भाग से खून बहता है। अपने देवता को कष्ट में देखकर उनका मन हनुमान जी से उठ गया और आज भी कोई हनुमान जी की पूजा यहां नहीं करता है।

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