Hindu Marriage: हिंदू धर्म में पिछले काफी दशकों से शादियां दिन के समय ही होती चली आ रही थी। शादियों के पुराने इतिहास को खाना लेंगे तो भगवान राम और सीता से लेकर द्रौपदी तक की शादियां दिन में ही आयोजित हुई थी। मगर एक धारणा और मान्यता की वजह से शादियां रात के समय होने लगी। हालांकि हिंदू धर्म में शादियों में इतनी ज्यादा रस्में में की जाती है कि वह संध्या से शुरू होकर रात्रि भी बीतकर कर ब्रह्म मुहूर्त तक पहुंच जाती है। आईए जानते हैं कि आखिर क्यों हिंदू शादियों के समय में बदलाव क्यों हुआ…
शास्त्रों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि सभी शुभ काम दिन में करना उचित होता है। इसलिए पहले शादियां भी रात के बजाय दिन में होती थीं। ऐसा इसलिए भी होता था क्योंकि हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कार्य रात के समय नहीं किया जाता है। सुबह बारात निकलती थी और दिन में फेरे हो जाते थे। शाम से पहले बारात विदा भी हो जाती थी।
इस मान्यता के कारण होती है रात में शादी
ऐसी मान्यता है कि फेरे यदि ध्रुव तारे को साक्षी मानकर किए जाते हैं तो वो रिश्ता जन्म जन्मांतर के लिए बन जाता है। इसी वजह से ज्योतिष में रात में शादी करने की सलाह देते हैं। ध्रुव तारा रात में दिखाई देता है। यही एक वजह है कि धीरे-धीरे हिन्दू शादियां रात में होने लगी।
हालंकि रात में शादियों का रिवाज अभी केवल उत्तर भारतीय और तेलुगु समाज में ही होती हैं। जबकि दक्षिण भारतीय शादियाँ आज भी सुबह के समय होती हैं। दक्षिण भारतीय हिंदू अधिकतर शादियाँ ‘मुहूर्त’ (शुभ समय) के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त में करते हैं।
यदि सर्वे खंगालेंगे तो पाएंगे कि जब दिन में शादियां होती थीं तो रिश्ते आजीवन चलते थें। मगर जब से शादियों का चलन रात को होने लगा तो रिश्तों की उम्र भी छोटी होने लगी। कई शादियां तो जैसे तैसे निभ भी जाती हैं मगर कुछ तलाक पर खत्म हो जाती हैं। क्योंकि रात में होने वाली शादियों में सारे पूजा पाठ के कार्य भी रात को होते हैं, जो अशुभता लाते हैं।
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