Jhoomraj Temple: झूमराज मंदिर में महिलाओं को नहीं मिलता प्रसाद, पुरानी है प्रथा

Jhoomraj Temple: झूमराज मंदिर में महिलाओं को प्रसाद नहीं दिया जाता है। इसके पीछे वजह है पुरानी प्रथा, जो बकरे की बलि से जुड़ी है।

Jhoomraj Temple: हिंदू धर्म में मंदिरों में दर्शन के बाद प्रसाद मिलना भक्तों के लिए आशीर्वाद जैसा होता है। भगवान में प्रसाद के लिए लोग लंबी लाइन लगाते हैं। क्या आपने कभी यह सुना है को किसी मंदिर में महिलाओं को प्रसाद नहीं दिया जाता है। सुनने में अजीब लग रहा होगा, लेकिन यह हकीकत है। यह अनोखी प्रथा बिहार के झूमराज मंदिर में है। इस मंदिर में महिला और पुरुष श्रद्धालु समान रूप से बड़ी संख्या में आते हैं। मगर इस मंदिर में महिलाओं का आना जाना तो होता है, लेकिन महिलाओं को यहां का प्रसाद खाने की मनाही है। आईए जानते हैं झूमराज मंदिर की इस अनोखी प्रथा के पीछे की वजह क्या है….

बटिया में हैं झूमराज मंदिर 

बिहार में जमुई जिले के सोनो प्रखंड क्षेत्र के बटिया स्थित बाबा झुमराज स्थान मंदिर है। इसकी ख्याति इतनी है कि यहां एक महीने में 1.50 लाख तक श्रद्धालु पूजा करने आते हैं। श्रद्धालुओं में महिला और पुरुष समान संख्या में आते हैं। इतना ही नहीं यह मंदिर इतना प्रसिद्ध है कि केवल जमुई ही नहीं बल्कि आसपास के कई जिलों से लोग यहां बड़ी संख्या में पूजा करने आते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां मांगी गई हर मन्नत भी पूरी होती है।


विशेष होता है यहां का प्रसाद

इस मंदिर का एक विशेष प्रसाद होता है जिसे मंदिर परिसर में ही खाया जा सकता है, आप इसे घर नहीं ले जा सकते हैं। पुरानी प्रथा के चलते इस मंदिर में मिलने वाले प्रसाद को केवल पुरुष ही खा सकते हैं। महिलाओं को इस प्रसाद को खाने की अनुमति नहीं होती है।


रोचक है मंदिर की स्थापना का किस्सा

इस मंदिर के स्थापना के पीछे एक बड़ी रोचक कहानी है। मंदिर के पुजारी तालेवर सिंह ने बताया कि एक वक्त हरिद्वार के कुछ पुजारियों का जत्था इस होकर गुजर रहा था। उनमें से एक पुजारी जो सबसे पीछे चल रहे थे, उसपर बाघ ने हमला किया और उसे मार दिया। जिस जगह ये घटना हुई वो जंगली इलाका था। इस कारण उनके साथी उन्हें उसी हाल में छोड़कर चले गए। काफी समय बाद एक किसान वहां खेती करने आया। उसने वहां पड़े उस पुजारी के कंकाल को जमा कर उसे जला दिया और जमीन को साफ कर उसपर मडुआ की फसल लगाई। जब फसल तैयार हो गई, तब किसान ने अपनी फसल काट ली और घर चला आया।

अगले दिन जब वह अपने खेतों की तरफ आया तो उसने देखा कि वहां उसके खेतों में मडुआ की फसल अभी भी लहलहा रहें हैं। उसने दूसरे दिन भी फसल काटी और अगले दिन उसने फिर देखा कि उसके खेतों में फसल लहलहा रहे है, लगातार कई दिनों तक ऐसा चलता रहा तो उसने प्रार्थना की और इसका कारण पूछा। तभी वहां वो पुजारी प्रकट हुए और उन्होंने कहा कि मैं पिछले कई साल से यहां भटक रहा था। मेरे साथियों ने मेरा साथ छोड़ दिया था पर तुमने मुझे अग्नि प्रदान किया है। मृत पुजारी ने सपने में कहा मैं हर किसी की मनोकामना अवश्य पूर्ण करूंगा। इसके बाद उस किसान तथा गांव के अन्य लोगों के द्वारा मिट्टी का एक पिंड स्थापित कर उनकी पूजा अर्चना शुरू कर दी गई, जो आज भी जारी है।

इस वजह से महिलाएं नहीं खा सकती प्रसाद

झूमराज मंदिर में महिलाओं को प्रसाद नहीं दिया जाता है। यहीं नहीं महिलाओं को यहां का प्रसाद खाने तक की अनुमति नहीं है। इसके पीछे वजह है पुरानी प्रथा, जो बकरे की बलि से जुड़ी है। इस मंदिर में मुख्य रूप से बकरों की बलि दी जाती है, जिसे प्रसाद के रूप में तैयार किया जाता है। लोगों को यह प्रसाद खिलाया जाता है। लेकिन केवल पुरुष ही इस प्रसाद का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा यहां का बचा हुआ प्रसाद लोग घर भी नहीं ले जा सकते हैं। साथ ही महिलाएं इस प्रसाद को नहीं खा सकती हैं।

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