
Jitiya Vrat 2023: आज जितिया का पावन व्रत है। माताएं अपनी संतानों की लंबी आयु, आरोग्य और सुखमय जीवन के लिए इस कठिन व्रत को करती है। इस व्रत को जीवितपुत्रिका व्रत (Jivitputrika Vrat) और जिउतिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है। इसकी शुरुआत आश्विन मास, कृष्ण पक्ष, सप्तमी तिथि नहाय खाय से होकर सप्तमी, आष्टमी और नवमी तक जितिया व्रत चलता है। जितिया व्रत बहुत ही कठिन होता है। इस व्रत में माताएं जल तक ग्रहण नहीं करती हैं। आइये भागवताचार्य आचार्य आशीष राघव द्विवेदी जी से जानते हैं इस व्रत की पूजा, शुभ मूहुर्त और समेत तमाम बतों के बारे में…
जितिया व्रत शुभ मूहूर्त
ये व्रत 5 अक्टूबर को होगा। और यह नहाय खाय जिसके चलते अगले दिन यानी 6 अक्टूबर जितिया व्रत रखा जाएगा। अगले दिन 7 अक्टूबर नवमी तिथि को भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर और उनके मंत्रों के जाप के बात माताएं व्रत का पारण करेंगी। किया जाएगा और उसका समय सुबह 10 बजकर 23 मिनट पर किया जाना है।
जितिया व्रत पूजा विधि
जितिया व्रत में पहले दिन यानी नहाय खाय के दिन माताएं सुबह प्रात:काल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि से निवृत होकर व्रत का संकल्प लेकर और पूजा शुरू करेंगी। इसके बाद फालाहार भोजन ग्रहण करे पूरे दिन कुछ नहीं खाएंगी। दूसरे दिन सुबह स्नान आदि से निवृत कर पूजा पाठ करेंगी और फिर अष्टमी तिथि को पूरे दिन निर्जला व्रत रखेंगी।
जीवित्पुत्रिका व्रत की सावधानियां
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Jitiya Vrat 2023: जितिया व्रत की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत काल से जितिया व्रत की कथा जुड़ी है और इस कथा के मुताबिक महाभारत के युद्ध के दौरान अश्वत्थामा ने अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रही संतान को मार दिया था तभी श्रीकृष्ण ने अपने चमत्कार से उस संतान को जीवित कर दिया था। और फिर उसके जन्म के बाद इस पुत्र का नाम जीवित्पुत्रिका रखा गया था। तभी से जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता है।
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जितिया व्रत के दिन नहाने के बाद स्वच्छ कपड़े धारण किए जाते हैं और फिर भगवान जीमूतवाहन की भी पूजा की जाती है, इसके बाद कुशा से बनी जीमूतवाहन भगवान की मूर्ति के सामने पुष्ण, धूप-दीप, चावल, समर्पित किए जाते हैं।
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