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Kaniwada Hanuman Mandir: जानें उस चमत्कारी मंदिर के बारे में जहां बिना छत के रहते हैं हनुमान भगवान, धागा बांधने से पूरी होती है मन्नत

Kaniwada Hanuman Mandir: राजस्थान के कनिवाड़ा में एक चमत्कारिक हनुमान मंदिर है। इस हनुमान मंदिर के छत नहीं है। मंदिर में पूजा करने से सभी मनोकामना पूरी होती है।

Kaniwada Hanuman Mandir
Kaniwada Hanuman Mandir

Kaniwada Hanuman Mandir: हिंदू मंदिरों में ईश्वर के ऊपर छत होना जरूरी बताया गया है। यहीं नहीं बरसों से हिंदू मंदिरों की सेवा ब्राह्मण वर्ग ही करता आ रहा है। मगर आज हम भगवान हनुमान के जिस मंदिर की बात कर रहे हैं, वहां सेवा और पूजा अर्चना वहां पर रहने वाले दलित समाज के भाई करते आ रहे हैं। पिछले 800 साल से दलित समाज ही हनुमानजी की सेवा कर रहे हैं। इस मंदिर की खास बात यह है कि इसमें कोई छत नहीं है। इस मंदिर में धागा बांधने से मनोकामना पूरी होती है। आईए जानते हैं कि यह मंदिर कहां है और क्या महत्त्व है….

राजस्थान में हैं कानीवाडा हनुमान मंदिर (Kaniwada Hanuman Mandir)

हम बात कर रहे हैं कानीवाडा हनुमान जी के मंदिर की। कानीवाडा हनुमान जी का मंदिर राजस्थान के जालौर जिले के अंदर मात्र 8 किलोमीटर पर स्थित कानीवाडा गांव में स्थित है। यहां पर पिछले 800 साल से महावीर की पूजा अर्चना और सेवा दलित समाज कर रहा है। दलित समाज द्वारा की जा रही सेवा से भक्त भी प्रसन्न हैं।

भगवान के ऊपर नहीं है छत (Kaniwada Hanuman Mandir)

कानीवाडा हनुमान मंदिर राजस्थान का एकमात्र यह ऐसा मंदिर है, जिसमें भगवान के ऊपर छत नहीं है। आमतौर पर मंदिरों में छत जरूर होती है। लेकिन इस मंदिर में भगवान खुले आसमान के नीचे ही विराजित हैं।

हनुमान जी को चढ़ता है सिंदूर तेल

इस मंदिर के अंदर पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति है। हनुमान जी के साथ भगवान राम और सीता की मनभावन तस्वीर उकेरी गई है। मंदिर के अंदर 13 अखंड ज्योति भी है। महावीर हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए यहां पर तेल व सिंदूर केवल माली पन्ना चढ़ाता है।

प्रसाद में बंटता हैं मखाना

इस मंदिर में भगवान महाबली को पूजा अर्चना के बाद प्रसाद के रूप में बड़े मखाने का भोग लगता है। श्रद्धालु पूरे भक्ति भाव से पैदल भी यहां पर मंदिर में आते हैं। इस गांव में 80 पर्सेंट आबादी दलित समाज की है।

मन्नत पूरी होने कर खुल जाता है धागा

मंदिर में आने वाला प्रत्येक श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं मांगने के साथ मंदिर के पुजारी से वचनबद्ध के रूप में धागा बंधवाता है। यहां मान्यता है कि मनोकामना पूर्ण होने पर वह धागा अपने आप ही धागा खुल जाता है।

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