Kartik Swami Temple: साल में 364 दिन बंद रहता है यह मंदिर, सिर्फ एक दिन होता है दर्शन

Kartik Swami Temple: ग्वालियर में एक ऐसा चमत्कारी मंदिर है जो साल में 364 दिन बंद रहता है और सिर्फ एक दिन कार्तिक पूर्णिमा पर इसका पट खुलता है। इस मौके पर देवों के सेनापति भगवान कार्तिकेय के दर्शन के लिए दुनियाभर से लोक आते हैं।

Kartik Swami Temple: ग्वालियर में एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जिसके पट भक्तों के लिए साल में सिर्फ एक दिन खोले जाते हैं। यह मंदिर है भगवान शिव शंकर के पुत्र और देवों के सेनापति कार्तिकेय का। इस मंदिर के पट साल में सिर्फ एक दिन कार्तिक पूर्णिमा को खोले जाते हैं। भगवान कार्तिकेय के दर्शन करने के लिए देश ही नहीं विदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं। मान्यता है कि स्वामी कार्तिकेय के दर्शन मात्र से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।

कार्ति‍केय मंदिर के पट यानी दरवाजे साल में एक बार कार्तिक पूर्णिमा के दिन सिर्फ चौबीस घंटों के लिए खुलते हैं। यह देश ही नहीं दुनिया का इकलौता मंदिर है जो साल में सिर्फ एक दिन के लिए भक्तों के लिए खुलता है। इस मंदिर में भगवान कार्तिकेय के दर्शन के लिए आधी रात से ही भक्तों की भीड़ लगनी शुरू हो जाती है और सुबह 4:00 बजे मंदिर के पट भक्तों के लिए खोल दिए जाते हैं।

ग्वालियर के जीवाजी गंज इलाके में स्थित भगवान कार्तिकेय का मंदिर 400 साल से भी ज्यादा पुराना है। यहां कार्तिकेय स्वामी की 6 मुखी प्रतिमा स्थापित है। करीब 401 साल पुराना यह देश का इकलौता मंदिर है, जहां भगवान कार्तिकेय के साथ गंगा-यमुना-सरस्वती की त्रिवेणी मूर्ति भी स्थापित है। इस मंदिर में भगवान कार्तिकेय के साथ-साथ हनुमान जी, गंगा, यमुना, सरस्वती और लक्ष्मीनारायण समेत कई मंदिर हैं। इन सभी मंदिरों में प्रतिदिन दर्शन होते हैं लेकिन भगवान कार्तिकेय के दर्शन कार्तिक पूर्णिमा पर ही होते है।

पौराणिक कथा और धार्मिक मान्यता के मुताबिक, एक बार भगवान शिव और माता पार्वती ने दोनों पुत्र गणेश और कार्तिकेय से कहा कि उनमें से जो तीनों लोक की परिक्रमा करके सबसे पहले हमारे पास आएगा, उसकी पूजा सबसे पहले मानी जाएगी। इस पर भगवान गणेश ने अपनी बुद्धि से अपने माता-पिता की ही परिक्रमा लगाई, क्योंकि उनमें ही तीनों लोक समाहित होते हैं। गणेश की इस बुद्धिमता से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें ये आशीर्वाद दिया कि सभी देवी-देवताओं से सबसे पहले उनकी पूजा होगी। इसके बाद ही गणेश जी प्रथम देव कहलाए।

जब कार्तिकेय तीनों लोक की परिक्रमा लगाकर वापस लौटे तो उन्होंने देखा की गणेश जी पहले से ही वहां पहुंचे हुए हैं और उनकी जय-जयकार हो रही है। इससे वे बहुत नाराज हो गए और किसी अज्ञात स्थान पर खुद को एक गुफा में बंद कर तपस्या करने लगे। जब भगवान शिव और माता पार्वती उन्हें मनाने पहुंचे तो उन्होंने श्राप दिया कि जो भी स्त्री उनके दर्शन करेंगी वह सात जन्म के लिए विधवा हो जाएगी और जो पुरूष उनका दर्शन करेगा वह सात जन्म तक के लिए नर्क में जाएगा।

बाद में भगवान शिव के समझाने पर कार्तिकेय जी का क्रोध शांत हुआ। जब माता पार्वती ने उनसे पूछा कि वो ऐसा कोई दिन बताएं जब उनके भक्त उनका दर्शनों कर पुण्य की प्राप्ति कर सके। तब कार्तिकेय जी ने कहा कि मेरे जन्मदिन कार्तिक पूर्णिमा पर जो भक्त उनका दर्शन करने यहां आएगा, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होगी। इसी मान्यता के तहत साल में सिर्फ एक दिन के लिए यह मंदिर खुलता है और भगवान कार्तिकेय अपने भक्तों को दर्शन देकर उनकी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

कहा जाता है कि कर्तिक पूर्णिमा के अलावा किसी अन्य दिन इस मंदिर में कार्तिकेय भगवान दर्शन करने वाली महिलाएं विधवा हो जाती हैं और पुरुष 7 जन्मों तक नरक में जाता है। इसलिए कार्तिक पूर्णिमा की समाप्ति पर पूजा अर्चना के कार्तिकेय भगवान की प्रतिमा को कपड़े से ढंककर दरवाजे पर ताला लगा दिया जाता है। फिर अगले साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही मंदिर का पट खोला जाता है।

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