Kartik Purnima: उत्‍सवों के देश भारत का एक सुंदर त्‍योहार कार्तिक पूर्णिमा, जानें इसका महत्व

Kartik Purnima: इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर को मनाया जा रहा है। कार्ति‍क माह के शुक्‍ल पक्ष में मनाया जाने वाला यह उत्‍सव बड़े उत्‍साह व आस्‍था से मनाया जाता है। जानिए क्‍या है इसका महत्‍व। मान्‍यता है कि गंगा स्‍नान का इस दिवस पर बड़ा महत्‍व है।

Kartik Purnima: जनवरी माह के पोंगल, मकर संक्राति‍ से दिसंबर तक क्रिसमस व अन्‍य त्‍योहारों से सजा रहता है देश भारत। दीपावली के बाद देवोत्‍थान एकादशी और कार्तिक पूर्णिमा का भी बड़ा महत्‍व है। यह त्‍योहार यानी कार्तिक पूर्णिमा देशभर में पूरे आस्‍था से मनाया जाता है।

इस दिन दीपक जलाकर लोग घर को सजाते हैं और आस्‍था से भगवान बि‍ष्‍णु की आराधना करते हैं। बता दें कि कार्तिक मास भगवान विष्णु को विशेष रूप से प्रिय है। साथ ही कार्तिक पूर्णिमा का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव, विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा से जीवन में समृद्धि, सुख और शांति की प्राप्ति होती है। पूर्णिमा के दिन देव दीपावली का उत्सव भी मनाया जाता है।

कार्ति‍क पू्र्णिमा इस वर्ष पड़ा है शुभ योग

हमारे यहां तिथि का बड़ा महत्व है। इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर कई शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। ज्‍योतिष शास्‍त्र के अनुसार, इस बार कार्तिक पूर्णिमा पर चंद्रमा और मंगल का राशि परिवर्तन योग दोनों के एक दूसरे की राशि में रहेगा। कार्तिक पूर्णिमा पर देर रात गजकेसरी राजयोग बनेगा। इस दिन बुधादित्य राजयोग बनेगा। ऐसे में इस बार कार्तिक पूर्णिमा पर जो भी उपाय और दान पुण्य के कार्य करेंगे तो आपको उसका कई  गुना अधिक फल मिलेगा।

कार्ति‍क पू्र्णिमा पर स्‍नान व दीपदान का महत्‍व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान और दान करने से समृद्धि और खुशहाली आती है। इस दिन को सुख और शांति का प्रतीक माना जाता है। इस ति‍थि को दान-पुण्य का विशेष फल प्राप्त होता है। इस पावन पर्व पर पवित्र नदी में स्नान और दीपदान का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि नदी में स्नान करने से सभी पापों का नाश हो जाता है। जरूरतमंदों को दान करना और भूखे लोगों को भोजन कराने से पूण्‍य मिलता है।

देव दीपावली का दिन पर करें ये उपाय

कार्तिक मास की पूर्णिमा को लेकर एक धार्मिक कथा प्रचलित है। मान्यता है कि भगवान शिव ने इसी दिन त्रिपुरासुर नामक एक राक्षस का वध किया था। यही कारण है कि कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरासुर पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन को विशेष रूप से देव दिवाली के रूप में भी मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा तक भगवान विष्णु मत्स्य अवतार में जल में निवास करते हैं। इसलिए इस दिन जल में दीप जलाने की परंपरा है और इसे अत्यंत शुभ माना जाता है।

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