Chaitra Navratri: नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है और माता रानी को प्रसन्न करने के लिए भक्त 9 दिन उपवास रखते हैं. मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों को अंबर चंडी काली चंद्रिका दुर्गा के अलावा महिषासुरमर्दानी के नाम से जाना जाता है. नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी तीसरे दिन चंद्रघंटा चौथे दिन कूष्मांडा पांचवें दिन स्कंद माता छठे दिन कात्यायनी सातवें दिन कालरात्रि आठवें दिन महागौरी और नौवे दिन सिद्ध रात्रि माता का पूजा किया जाता है. सदियों से चैत्र नवरात्रि में पूजा की जाती है लेकिन क्या आपको पता है सबसे पहले नवरात्रि का त्योहार किसने मनाया था.
जानिए कैसे शुरू हुई थी नवरात्रि(Chaitra Navratri)
मां दुर्गा सैन्य शक्ति स्वरुप है और नवरात्रि में भक्ति आध्यात्मिक बाल सुख समृद्धि की कामना के सती मां दुर्गा की उपासना करते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार सबसे पहले त्रेता युग में भगवान श्री राम ने नवरात्रि का त्योहार किया था और रावण से युद्ध से पहले उन्होंने उपवास रखा था. वाल्मीकि रामायण में बताया गया है कि भगवान श्री राम ने किष्किंधा के पास श्रेणी मुख पर्वत पर चढ़ाई करने से पहले मां दुर्गा की उपासना की थी. मां दुर्गा की उपासना करने की सुझाव ब्रह्मा जी ने श्री राम को दिया था.
भगवान श्री राम को मिला था मां दुर्गा का आशीर्वाद
ब्रह्मा जी ने चंडी पाठ के साथी राम जी से कहा था की पूजा तभी सफल होगी जब चांदी पूजन और हवन के बाद 108 नीलकमल अर्पित किए जाएंगे. नीलकमल अति दुर्लभ माने जाते हैं लेकिन प्रभु श्री राम ने अपनी सेवा की मदद से 108 नील कमल जुटा था. लेकिन रावण को जब यह बात पता लगी तो उसने अपने मायावी शक्ति से एक नीलकमल गायब कर दिया और चांदी पूजन के अंत में भगवान श्री राम जब कमल का पुष्प चढ़ाए तो एक कमल काम था यह देखकर भगवान चिंतित हो गए.
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प्रभु श्री राम ने माता को आंख अर्पित करने का लिया फैसला
भगवान श्री राम जब एक कमल की कमी पाए तो उन्होंने माता को अपनी एक आंख चढ़ाने का फैसला किया. जैसे ही उन्होंने तीर से अपनी आंख निकालने की कोशिश की तभी माता चंडी प्रकट हो गई और उन्हें विजय का आशीर्वाद दिया. भगवान श्री राम प्रतिपदा से लेकर नवमी तक माता चंडी को प्रसन्न करने के लिए एंजल ग्रहण नहीं किए थे. इसके बाद उन्हें युद्ध में विजय प्राप्त हुआ और तब से नवरात्रि का त्योहार रखा जाने लगा.
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