Laddu Gopal Katha: जानें कौन है लड्डू गोपाल? श्री कृष्ण के बाल स्वरूप का कैसे पड़ा यह नाम, जानें सच्ची कथा

Laddu Gopal Katha: हर घर में लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है. लड्डू गोपाल की कृपा दृष्टि से पूरे परिवार में खुशी बनी रहती है. आज हम आपको बताएंगे कि लड्डू गोपाल का यह नाम कैसे पड़ा.

Laddu Gopal Katha: हर घर में लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है और अधिकतर लोग लड्डू गोपाल को अपने बच्चों की तरह मानते हैं और हर जगह होने लेकर जाते हैं। आप अगर लड्डू गोपाल का पूजा करते हैं तो आपको जरूर पता होना चाहिए कि कृष्ण भगवान के इस स्वरूप को लड्डू गोपाल क्यों कहा जाता है।तो आईए जानते हैं लड्डू गोपाल की कहानी।

लड्डू गोपाल की कथा (Laddu Gopal Katha)

कृष्ण भगवान के बाल स्वरूप को लड्डू गोपाल के नाम से जाना जाता है।कोडारी कहानी के अनुसार ब्रज की भूमि पर श्री कृष्ण के परम भक्त कुम्भनदास रहते थे। कुंभंदास हमेशा ठाकुर जी की भक्ति करते रहते थे और उनका एक बेटा था जिसका नाम रघुनंदन था। रघुनंदन बहुत ही सरल और भोला था। एक दिन कुंभनदास को एक नगर में श्री कृष्ण की कीर्तन के लिए बुलावा आया। वह श्री कृष्ण को छोड़कर नहीं जाना चाहते थे लेकिन वह लोगों को समझाने बुझाने के बाद चले गए और वह श्री कृष्ण को भोग लगाने की जिम्मेदारी अपने बेटे रघुनंदन को दे गए। कुम्भनदास के चले जाने के बाद रघुनंदन ने खाने से भरी थाली श्रीकृष्ण की मूर्ति के सामने रख दी।

रघुनंदन बहुत ही बोला था और उसे लगा कि भगवान श्री कृष्णा अपने हाथ से खाना खाएंगे लेकिन खाना पूरे दिन थाली में वैसे ही पड़ा रहा। इसके बाद वह रो-रोकर श्री कृष्ण से खाना खाने के लिए विनती करने लगा।

रघुनंदन के भोलेपन से प्रसन्न होकर श्री कृष्णा बाल स्वरूप में आकर सारा भोजन कर लिए और रघुनंदन को शांत कराया। इसके बाद जब कुम्भदास अपने घर आए तो अपने बेटे से प्रसाद मांगे तो रघुनंदन ने कहा कि श्री कृष्ण ने सारा प्रसाद खा लिया। तब उन्हें लगा कि उनका बेटा झूठ बोल रहा है और इसी ने सारा प्रसाद खाया है।

इसी तरग कुम्भनदास जब भी कीर्तन करने जाते, अपने बेटे को श्रीकृष्ण को भोग लगाने के लिए कहते थे। रोजाना भोग का प्रसाद नहीं बचता था और पूछने पर रघुनंदन वही बात दोहरा देता था कि सारा भोजन श्रीकृष्ण ने खा लिया।

Also Read:Dharm Visesh : जिस दिन हुई थी श्रीराम सीता की शादी उस दिन शादी करने से क्यों है मनाही,जानिए क्या है इस का धार्मिक कारण

इसके बाद एक दिन कुम्भनदास ने लड्डू बनाकर भोग की थाली में रखी और बेटे रघुनंदन को भोग लगाने के लिए कहा। कुम्भनदास छुपकर देखने लगे कि आखिर सच क्या है। उस दिन भी यही हुआ रघुनंदन ने श्रीकृष्ण को खाना खाने के लिए आमंत्रित किया, श्रीकृष्ण ने बाल रूप बनाया और लड्डू खाने लगे। जब कुम्भनदास ने स्वंय श्रीकृष्ण को बाल रूप में देखा, तो वे दर्शन के लिए दौड़े चले आए। उस समय कृष्‍ण के एक हाथ में लड्डू और दूसरे हाथ वाला लड्डू मुख में जाने को ही था कि वे एकदम जड़ हो गए। इस घटना के बाद से ही उनकी इसी रूप में पूजा की जाती है और श्रीकृष्ण के इस बाल स्वरूप को ‘लड्डू गोपाल’ कहा जाने लगा।

Also Read:Hindu Dharma: व्रत त्यौहार के दौरान लहसुन प्याज खाना क्यों माना जाता है वर्जित? क्या है इसके पीछे धार्मिक कारण

तमाम खबरों के लिए हमें Facebook पर लाइक करें, Twitter और Kooapp पर फॉलो करें। Vidhan News पर विस्तार से पढ़ें ताजा-तरीन खबरें।

- Advertisement -

Related articles

Share article

- Advertisement -

Latest articles