Maa Durga Chalisa Amazing Facts : आदिशक्ति मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूप हैं। मां दुर्गा को उनके भक्त जग्दम्बा, जगत जननी, नवदुर्गा, देवी, शक्ति, आध्या शक्ति, भगवती, माता रानी, जगत जननी जग्दम्बा, परमेश्वरी, परम सनातनी देवी आदि नामों से पुराकते हैं। मां दुर्गा शाक्त सम्प्रदाय की प्रमुख्य देवी हैं। धर्मशास्त्रों मां दुर्गा को आदि शक्ति, परम भगवती परब्रह्म बताया गया है। मां दुर्गा चालीसा में माता दुर्गा के स्तुति गाना के जरिए महात्म्य को बताया गया है।
मां दुर्गा चालीसा के नियमित पाठ और गान से माता रानी भक्तों के सभी तरह से कष्ट दूर होते हैं और उन्हें मनोवांछित फल भी मिलते हैं। साथ ही शत्रुओं से मुक्ति, इच्छा पूर्ति सहित अनेकों मनोकामनाएं पूर्ण होती है। साथ ही साथ दुर्गा चालीसा के नियमित पाठ से जातक के मन में सकारात्मक विचारों का संचार होता है मन शांत रहता है। आइये से भागवताचार्य आचार्य आशीष राघव द्विवेदी जी से जानते हैं Maa Durga Chalisa के कुछ आश्चर्यजनक तथ्यों के बारे में…
संसार में धर्म की रक्षा और अंधकार मिटाने के लिए मां दुर्गा उत्पत्ति हुई
हिंदू सनातन धर्म की मान्यताओं के मुताबिक मां दुर्गा उत्पत्ति संसार में धर्म की रक्षा और अंधकार मिटाने के लिए हुई। ब्रह्मा जी की पहली पत्नी आदि शक्ति देवी ने ही सावित्री, लक्ष्मी, और मुख्य रूप से पार्वती (सती) के रूप में जन्म लिया। उन्होंने ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश से विवाह किया था। तीन रूप होकर भी मां दुर्गा (आदि शक्ति) एक ही है। सावित्री, लक्ष्मी एव पार्वती से अलग देवी दुर्गा के स्वयं के भी कई रूप हैं।
दुर्गा चालीसा (What Is Durga Chalisa) क्या है?
दुर्गा चालीसा मुख्य रुप से आदि शक्ति मां दुर्गा को समर्पित है। इसमें माता दुर्गा के बारे में गायन किया गया है। दुर्गा चालीसा की रचना संत देवी-दास जी ने की थी। कहा जाता है कि संत देवी-दास जी मां दुर्गा के बहुत बड़े भक्त थे। उन्होंने दुर्गा चालीसा के जरिए माता रानी के सभी रूपों के साथ महिमा का विस्तार से वर्णन किया है। दुर्गा चालीसा में चालीस दोहे यानी श्लोक हैं? दरअसल चालीसा का अर्थ 40 श्लोक होता है।
दुर्गा चालीसा (Importance of Durga Chalisa) का महत्व
पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के मुताबिक माता दुर्गा में ब्रह्मा, विष्णु और शिव तीनों के गुण विद्यमान हैं और मां दुर्गा ही इस संसार की संचालक भी हैं यानी इस संसार को चला रही है। कहा जाता है कि माता रानी की पूजा दुर्गा चालीसा के बिना अधूरी रह जाती है। मान्यता के मुताबिक दुर्गा चालीसा का नियमित रूप से जाप और पाठ करने से माता रानी प्रसन्न होती है और जातक को जीवन भर उनका आशीर्वाद मिलता रहता है। कहा जाता है कि जातक निष्ठा भाव से नियमित रुप से दुर्गा चालीसा का पाठ करता है, उसके मार्ग में आने वाली सभी बाधाएं को दूर होती है और अदम्य शौर्य, साहस, पराक्रम व ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। साथ ही साथ दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ करने से जातको को आध्यात्मिक, भावनात्मक और भौतिक खुशी भी मिलती है।
दुर्गा चालीसा (How to read Durga Chalisa) कैसे पढ़ें?
- प्रात: काल स्नानादि से निवृत होकर साफ वस्त्र धारन करें।
- इसके बाद एक लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछा कर उस पर मां दुर्गा की मूर्ति यानी प्रतिमा स्थापित करें।
- मां दुर्गा का ध्यान करते हुए उन्हें लाल फूल, धूप, दीप अर्पित करते हुए पूजा करें और श्रृंगार का सामान चढ़ाएं।
- इसके बाद माता रानी को फल और मिष्ठान आदि का भोग लगाएं।
- अब माता रानी को ध्यान में रखते हुए दुर्गा चालीसा का पाठ शुरू करें।
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दुर्गा चालीसा पाठ समय न करें ये गलती
- अगर आप दुर्गा चालीसा का पाठ करते हैं तो आपको तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए।
- दुर्गा चालीसा पाठ के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना उचित रहता है।
- दुर्गा चालीसा पढ़ते समय सांसारिक मोहमाया से भी जातक को दूर रहना चाहिए।
- दुर्गा चालीसा पढ़ते समय मन में किसी प्रकार के द्वेष की भावना नहीं आनी चाहिए।
- दुर्गा चालीसा के पाठ के दौरान आस-पास गंदगी नहीं होनी चाहिए।
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दुर्गा चालीसा पाठ (Benefits of Durga Chalisa) के लाभ
- दुर्गा चालीसा के नियमित पाठ से साकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है जातक को मानसिक तनाव के साथ-साथ तमाम तरह की चिंताओं से मुक्ति मिलती है।
- दुर्गा चालीसा के नियमित पाठ से जातक को अपने शत्रुओं के पर आसानी से विजय की प्राप्ति होती है।
- दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ करने से जातक के आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है और उनके सारे कार्यों की सिद्धि होती है।
- दुर्गा चालीसा का पाठ से जातक को बुरी शक्तियों से छुटकारा मिलता है और परिवार का भी बुरी शक्तियों से बचाव होता है।
- दुर्गा चालीसा का पाठ करने से जातक के घर में माता लक्ष्मी जी का वास होता है और आर्थिक समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- दुर्गा चालीसा के पाठ से जातक को जीवन में आने वाली कठिनाइयों से लड़ने की शक्ति मिलती है।
- दुर्गा चालीसा के पाठ मात्र से जातक को खोया हुआ सम्मान और संपत्ति की प्राप्ति होती है।
- दुर्गा चालीसा के पाठ से मन से निराशा के भाव दूर होने लगते हैं।
- दुर्गा चालीसा के पाठ से असाध्य रोग भी ठीक होने लगते हैं और व्यक्ति स्वस्थ्य हो जाता है।
- दुर्गा चालीसा के पाठ खोया हुआ सामाजिक सम्मान कि फिर से प्राप्ति होती है।
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मां दुर्गा चालीसा (Maa Durga Chalisa)
॥ चौपाई ॥
नमो नमो दुर्गे सुख करनी, नमो नमो अम्बे दुःख हरनी॥
निराकार है ज्योति तुम्हारी, तिहूँ लोक फैली उजियारी॥
शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥
तुम संसार शक्ति लय कीना। पालन हेतु अन्न धन दीना॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥
रूप सरस्वती को तुम धारा। दे सुबुद्धि ऋषि-मुनिन उबारा॥
धरा रूप नरसिंह को अम्बा। प्रगट भईं फाड़कर खम्बा॥
रक्षा कर प्रह्लाद बचायो। हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं॥
क्षीरसिन्धु में करत विलासा। दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी॥
मातंगी अरु धूमावति माता। भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥
केहरि वाहन सोह भवानी। लांगुर वीर चलत अगवानी॥
कर में खप्पर-खड्ग विराजै। जाको देख काल डर भाजे॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
नगर कोटि में तुम्हीं विराजत। तिहुंलोक में डंका बाजत॥
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे। रक्तबीज शंखन संहारे॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
रूप कराल कालिका धारा। सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
परी गाढ़ सन्तन पर जब-जब। भई सहाय मातु तुम तब तब॥
अमरपुरी अरु बासव लोका। तब महिमा सब रहें अशोका॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी। तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावै। दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई। जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी। योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
शंकर आचारज तप कीनो। काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को। काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
शक्ति रूप को मरम न पायो। शक्ति गई तब मन पछितायो॥
शरणागत हुई कीर्ति बखानी। जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा। दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
आशा तृष्णा निपट सतावे। मोह मदादिक सब विनशावै॥
शत्रु नाश कीजै महारानी। सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
करो कृपा हे मातु दयाला। ऋद्धि-सिद्धि दे करहु निहाला॥
जब लगि जियउं दया फल पाऊं। तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥
दुर्गा चालीसा जो नित गावै। सब सुख भोग परमपद पावै॥
देवीदास शरण निज जानी। करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥
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आपका दिन शुभ और मंगलमय हो
(डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धर्म शास्त्र और समाज में प्रचलित मान्यताओं पर आधारित और केवल सूचना के लिए दी गई है। Vidhan News इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।)
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