Home धर्म/ज्योतिष Maa Durga Sindoor : मां दुर्गा किसके नाम का लगाती हैं सिंदूर 

Maa Durga Sindoor : मां दुर्गा किसके नाम का लगाती हैं सिंदूर 

Maa Durga Sindoor : दुर्गा पूजा में सिंदूर का बड़ा ही महत्व है। बंगाल में तो दशमी के दिन सिंदूर खेला के बाद ही माता दूर्गा की पंडालों से विदाई की जाती है। ऐसे में सवाल उठता है कि मां दूर्गा किसके नाम का सिंदूर लगाती है। 

Maa Durga Sindoor : मां दुर्गा को आदिशक्ति का देवी कहा जाता है। मां दुर्गा की पूजा में सिंदूर का काफी प्रयोग किया जाता है और माता को सिंदूर भी लगाया जाता है। पश्चिम बंगाल में तो सिंदूर खेला कि रस्म के बाद मां दूर्गा की विदाई की जाती है। ऐसे में सवाल उठता है कि मां दुर्गा किसके नाम का सिंदूर अपनी मांग में लगाती है। हिन्दू ग्रन्थों में भगवान शिव की पत्नी के रूप में माता दुर्गा को वर्णित हैं। माता दुर्गा अपनी मांग में महादेव के नाम का सिंदूर लगाती हैं। आइये से भागवताचार्य आचार्य आशीष राघव द्विवेदी जी से इस संदर्भ में विस्तार से जानते हैं…

मान्यता के मुताबिक भगवान शिव ही मां दुर्गा के पति हैं और मां दुर्गा ही माता पार्वती हैं। ‘शितिकंठकुटुम्बिनी’ तात्पर्य है कि मां दुर्गा नीलकंठ, भगवान भोले नाथ अर्थात शिव जी के नाम का सिंदूर लगाती है। शिव महापुराण के अनुसार श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी तथा श्री शकंर जी की माता श्री दुर्गा देवी (अष्टंगी देवी) हैं और पिता सदाशिव अर्थात् ‘काल ब्रह्म’ हैं।

Maa Durga Sindoor

हिंदू सनातन धर्म में विवाहित महिलाओं के लिए सिंदूर सुहाग का प्रतीक माना जाता है। हिंदू धर्म में शादी तभी संपन्न मानी जाती है जब दूल्हा, दुल्हन की मांग में सिंदूर भरता है। मान्यता है कि मांग में सिंदूर लगाने से सुहाग हमेशा सलामत रहता है।

बंगाली समुदाय में विजयादशमी के दिन सिंदूर खेला की परंपरा सदियों से चली आ रही है। बंगाली समुदाय में पंचमी तिथि से मां दुर्गा की पूजा-उपासना शुरू होती है और दशमी के दिन सिंदूर की होली खेलकर उन्हें विदा किया जाता है। बंगाली समुदाय में इसे सिंदूर खेला के नाम से भी जाना जाता है।

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मान्यता के मुताबिक नवरात्रि के मौके पर मां दुर्गा साल में एक बार अपने मायके आती हैं और अपने मायके में वह 10 दिन रूकती हैं। इसके उपलक्ष्य में ही दुर्गा पूजा मनाया जाता है। दुर्गा पूजा के दिन विसर्जन से पहले माता रानी का श्रृंगार किया और मीठे व्यंजनों का भोग लगाया जाता है।

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इसके बाद माता दुर्गा के सिंदूर से विवाहित महिलाएं अपनी और दूसरी विवाहित महिलाओं की मांग भरती है। मान्यता है कि इससे मां दुर्गा के साथ-साथ भगवान शिव शंकर प्रसन्न होकर उन्हें अखंड सौभाग्य का वरदान देते हैं और उनके लिए स्वर्ग का मार्ग भी बनाते हैं।

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