Home धर्म/ज्योतिष Maa Durga Statue Soil of Brothel : मां दुर्गा की प्रतिमा बनाने...

Maa Durga Statue Soil of Brothel : मां दुर्गा की प्रतिमा बनाने में वेश्यालय की मिट्टी समेत इन 4 चीजों का इस्तेमाल जरूरी 

Maa Durga Statue Soil of Brothel Navratri : नवरात्रि में मां दुर्गा की मूर्ति बनाने के लिए वेश्याओं के आंगन की मिट्टी समेत चार चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। इसके बिना प्रतिमा का निर्माण पूर्ण नहीं मानी जाती है। आखिर क्या है इसका कारण, आइए जानते हैं...

Maa Durga Statue Soil of Brothel Navratri : इन दिनों देशभर नवरात्रि और दुर्गापूजा की धूम है। माता रानी के भक्त मां शक्ति की अऱाधाना और उपासना में जुटे हैं। तमाम दुर्गा पंडालों में माता रानी की प्रतिमा की स्थापना हो चुकी है और सप्तमी शुक्रवार दिन से माता के प्रतिमा की पूजा-अर्चना भी शुरू हो जाएगी। हालांकि कई महीने पहले ही से मां दुर्गा के नौ रूपों की प्रतिमा यानी मूर्ति बनाने का काम शुरू हो जाता है। आइये आचार्य आशीष राघव द्विवेदी जी से जानते हैं माता की मूर्ति बनाने में किन-किन चीजों का इस्तेमाल किया जाता है।

माता की प्रतिमा मेें चार चीजों का इस्तेमाल जरूरी

शास्त्रों के मुताबिक माता रानी की प्रतिमा के निर्माण में चार चीजों का इस्तेमाल जरूरी है। मां दूर्गा की मूर्ति बनाने गंगा की मिट्टी जिसे गंगोट भी कहा जाता हैगोमूत्रगोबर और वेश्यालय के आंगन की मिट्टी का इस्तेमाल जरूरी है। मान्यता के मुताबिक इन चारों चीजों के बिना मां दुर्गा की मूर्ति बनाने का फल नहीं मिलता है। सदियों से इन सामग्रियों के इस्तेमाल की परंपरा  चली आ रही है।

Maa Durga Statue Soil of Brothel Navratri

वेश्यालय के आंगन की मिट्टी के उपयोग

माता रानी की प्रतिमा के निर्माण में वेश्यालय के आंगन की मिट्टी के उपयोग करने को लेकर कई मान्यताएं जुड़ी है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने वेश्याओं से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया था कि माता दुर्गा की प्रतिमा को वेश्याओं के आंगन की मिट्टी के बिना पूर्ण नहीं माना जाएगा।

वेश्यालय के मिट्टी से बनती है मां दुर्गा की प्रतिमा

एक पौराणिक कथा के मुताबिक, कुछ वेश्याएं गंगा स्नान करने के लिए जा रही थीं। तभी रास्ते में उन्हों घाट के किनारे एक कुष्ठ रोगी को बैठे हुए दिखाई दिया। वो रोगी वहां आ रहे लोगों से गंगा स्नान करवाने के लिए कह रहा था, लेकिन किसी ने भी उनकी इस विनती को नहीं सुना। इसके बाद वेश्याओं ने उस व्यक्ति को गंगा स्नान करवाया। वह कुष्ठ रोगी और कोई नहीं बल्कि स्वयं भगवान शिव शंकर थे।

यह भी पढ़ें- नवरात्रि के नौ दिन पहने 9 अलग-अलग रंग के कपड़े, माता होती हैं प्रसन्न 

वेश्याओं की इस करुणा भाव से प्रभावित हुए भोलेनाथ

वेश्याओं की इस करुणा भाव से भोलेनाथ बहुत ही प्रसन्न हुए और उन वेश्याओं से वरदान मांगने के लिए कहा। तब वेश्याओं ने शिव जी से कहा कि माता दुर्गा की मूर्ति के निर्माण में उनके आंगन की मिट्टी का भी इस्तेमाल हो। तब शिव जी ने कहा कि उनके आंगन की मिट्टी के बिना दुर्गा प्रतिमा का निर्माण पूर्ण नहीं माना जाएगा। तब से ये मां दूर्गा की प्रतिमा के निर्माण में वेश्याओं के आंगन की मिट्टी के उपयोग की परंपरा चली आ रही है।

यह भी पढ़ें-  नवरात्रि में किसी भी दिन कर लें दुर्गा सप्तशती के इस चमत्कारी मंत्र का जाप, गरीबी भाग जाएगी कोसों दूर

वेश्याओं का आंगन होता है प्रवित्र

एक अन्य मान्यता के मुताबिक जब कोई व्यक्ति वेश्यालय जाता है तब वह अपने सभी पुण्य कर्म और पवित्रता को उसके घर के बाहर यानी आंगन में ही छोड़कर भीतर जाता है। इसलिए वेश्यालय के आंगन की मिट्टी को पवित्र माना जाता है। इसी वजह माता दुर्गा की प्रतिमा बनाने के लिए वेश्याओं के आंगने की मिट्टी का लाई जाती है और उसका इस्तेमाल किया जाता है।

तमाम खबरों के लिए हमें Facebook पर लाइक करें TwitterKooapp और YouTube पर फॉलो करें। Vidhan News पर विस्तार से पढ़ें ताजा-तरीन खबर।

Exit mobile version