
Chamunda Mata Mandir: माता रानी के मंदिरों की कमी नहीं है हमारे देश में। उनमें से ही एक है मध्य प्रदेश के देवास जिले में स्थित माता चामुंडा मंदिर। माता के चमत्कार से जुड़ी कहानियां ऐसी हैं जो कि अनादि काल से चली आ रही हैं। एक मान्यता यह है कि माता रानी जी का हाथ जिसके सिर होती है, उसका हर संकट टल जाता है। उसका कल्याण तय है। कई प्रकार की मान्यताओं में एक यह भी है कि माता पूरे दिन में तीन बार अपना स्वरूप बदलती हैं।
यहीं गिरा था सती का रक्त
दक्ष राजा के यहांं क्रोध में आकर यज्ञकुंड में कूदी माता सती के जले हुए शरीर को भगवान शिव ने अपने कंधे पर लिया और सभी दिशाओं में भ्रमण करना शुरू कर दिया। भगवान शिव सती के प्रेम में बेसुध थे और उधर सती का अंग अलग-अलग जगहों में गिर रहा था। जिस जगह पर सती का रक्त गिरा था, वह स्थल यही है यानी मध्यप्रदेश का देवास का यह मंदिर। यह स्थान आज मां चामुंडा शक्ति के पीठ के नाम से दुनिया भर में प्रसिद्ध है।
कई सिद्ध पुरुषों ने की तपस्या
यह शक्तिपीठ बहुत प्रसिद्ध है। यही कारण है कि यहां अतीत में कई महान संतों ने तपस्या के लिए यह जगह चुना। बता दें कि गुरु गोरखनाथ, राजा भर्तृहरि, सद्गुरु शीलनाथ महाराज जैसे कई महान संतों ने यहां आकर तपस्या की। आम लोग तो मानते ही हैं, राजा विक्रमादित्य और पृथ्वीराज चौहान भी माता के दरबार में अपनी हाजिरी लगाते और श्रद्धा से सिर झुकाया करते थे।
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पान का बीड़ा और माता की कृपा
देश के 52 शक्तिपीठों में से एक इस मंदिर के बारे में कई रहस्यमय कहानियां हैं। ऐसा कहा जाता है कि जिस महिला को संतान नहीं है, वह यदि सच्चे मन से यहां आकर माथा टेकती है और माता को पान की बीड़ा खिलाती है उसे मां की कृपा जरूर मिलती है। कहा जाता है कि बड़ी माता तुलजा भवानी और छोटी माता चामुंडा मां के मुंह में लगाया गया पान का बीड़ा यदि उस महिला भक्त की झोली में आकर गिरता है तो उसे अवश्य संतान की प्राप्ति होती है।
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