Mahakumbh 2025: 13 जनवरी से महाकुंभ मेले की शुरुआत होने वाली है और भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में इसकी धूम देखने को मिल रही है। कुंभ मेले की तैयारी शुरू हो चुकी है और लोग इसको लेकर काफी उत्साहित देखने को मिल रहे हैं। महाकुंभ में नागा साधुओं के अखाड़े भी हिस्सा लेने वाले है। शंकराचार्य ने नागा साधुओं के हिंदू धर्म में सबसे बड़ा योगदान देखकर उन्हें महाकुंभ के दौरान सबसे पहले शाही स्नान करने का अवसर प्रदान किया था उसके बाद से यह परंपरा चली आ रही है।
नागा साधु बनना इतना आसान नहीं होता क्योंकि इसके लिए कठिन तपस्या करनी पड़ती है और साथ ही सत्य और ईश्वर की खोज करनी पड़ती है। कई कठिन है परीक्षाओं से गुजरने के बाद नागा साधु बना जाता है।
रहस्यों से भरा होता है नागा साधुओं का जीवन ( Mahakumbh 2025 )
नागा साधुओं का जीवन रहस्य से भरा होता है। अपने जीवन का तमाम साल या साधु हिमालय की कंदराओं में गुजारते हैं और कठिन तपस्या करते हैं। इनके दर्शन बहुत ही काम हो पाते हैं लेकिन महाकुंभ के दौरान ऐसे साधु जरूर नजर आते हैं। यह लोग सांसारिक मोह माया से बिल्कुल दूर रहते हैं और इन्हें किसी भी चीज का मोह नहीं होता। नागा साधुओं के अनुसार शरीर का कोई मोल नहीं है इसलिए यह अपने शरीर की बिल्कुल भी चिंता नहीं करते।
अलग होता है नागा साधुओं के अंतिम संस्कार का नियम
नागा साधुओं का अंतिम संस्कार बेहद अलग तरीके से किया जाता है। यह साधु जीते जी अपना पिंडदान कर देते हैं इसलिए मृत्यु के बाद उन्हें जल या थल समाधि दिलाई जाती है। इन साधुओं के जीवन से जुड़ी तमाम जानकारियां लोगों को पता नहीं होती क्योंकि यह रहस्यमई जीवन जीते हैं।
शरीर पर भस्म क्यों लगाते हैं नागा साधु
भस्म को नाकारात्मकता दूर करने वाला माना जाता है इसलिए नागा साधु अपने शरीर पर भस्म लगाकर रहते हैं। इसके साथ ही साथ शरीर पर भस्म लगाने से तापमान स्थिर रहता है। भस्म रोम कुपो को बंद कर देता है जिससे सर्दियों में भी गरमाहट मिलती है इसलिए यह शरीर पर भस्म लगाते हैं।