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Mahashivratri 2025 : हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि के त्यौहार का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की शादी हुई थी।इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी, बुधवार को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी को सुबह 11:08 बजे शुरू होकर 27 फरवरी को सुबह 08:54 बजे तक रहेगी। व्रत और पूजा 26 फरवरी को उदयातिथि के अनुसार की जाएगी।
भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र का विशेष महत्व है. कहा जाता है कि सावन मास में भोलेनाथ को बेलपत्र अर्पित करने से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो हो जाते हैं. साथ ही उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है. सावन में कई भक्त बोलपत्र पर नाम लिखकर शिवजी को अर्पित करते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं क्या सावन में बेलपत्र का नाम लिखकर चढ़ाने से भोलेनाथ नाराज तो नहीं होंगे. साथ ही अगर सावन में बेलपत्र नाम लिखकर चढ़ाना हो तो उस पर किनका नाम लिखना शास्त्र सम्मत होगा.
बेलपत्र पर नाम लिखकर चढ़ाना सही है या गलत?
भोलेनाथ को बेलपत्र अत्यंत प्रिय है, जिसका उल्लेख शिव पुराण समेत कई अन्य धार्मिक ग्रंथों में भी किया गया है. हालांकि, बेलपत्र पर नाम या मनोकामना लिखकर चढ़ाने की परंपरा का जिक्र शास्त्रों में नहीं है. शिवजी की भक्त अगर सावन में बेलपत्र पर नाम लिखकर चढ़ाने की इच्छा रखते हैं तो उन्हें सिर्फ भगवान श्रीराम का नाम लिखकर ही शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए, ऐसा धर्म शास्त्रों के जानकार बताते हैं. ध्यान रहे कि इसके अलावा बेलपत्र पर कोई नाम या इच्छा को बेलपत्र पर लिखकर चढ़ाने का कोई विधान नहीं है, ऐसा करने पर पाप का भागी होना पड़ सकता है.
बेलपत्र पर क्यों नहीं लिखते कोई इच्छा?
धर्म शास्त्र के जानकारों के मुताबिक बेलपत्र की प्रकृतिक पवित्रका को बनाए रखना प्रत्येक शिव भक्त के लिए जरूरी है. बेलपत्र पर किसी प्रकार की इच्छा लिखना या किसी प्रकार की छेड़छाड़ करने से उसकी पवित्रता भंग हो जाती है जो कि उचित नहीं है.
बेलपत्र की शुद्धता का रखें खास ख्याल
भगवान शिव की पूजा में आस्था और विश्वास का खास महत्व है. भगवान शिव को वही बेलपत्र प्रिय होता हो जो कि शुद्धता के साथ अर्पित किया जाए. शिवजी की पूजा में आडंबर या खास प्रकार की आवश्यकता नहीं होती.
शिवजी को बेलपत्र चढ़ाने का मंत्र
त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुधम्।
त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्॥
अखण्डै बिल्वपत्रैश्च पूजये शिव शंकरम्।
कोटिकन्या महादानं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्॥
गृहाण बिल्व पत्राणि सपुश्पाणि महेश्वर।
सुगन्धीनि भवानीश शिवत्वंकुसुम प्रिय॥
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