Naag Vasuki Temple: इस मंदिर के दर्शन के बिना अधूरा रह जाएगा महाकुंभ का स्नान, यहां पूरी होती है हर मनोकामना

Naag Vasuki Temple: संगम स्नान के बाद नाग वासुकी मंदिर में दर्शन करना महत्वपूर्ण माना जाता है। इस मंदिर में दर्शन नहीं करने से संगम स्नान अधूरा माना जाता है और साथ ही पूर्ण फल नहीं मिलता।

Naag Vasuki Temple: पूरे देश में महाकुंभ 2025 की धूम देखने को मिल रही है। दूर-दूर से लोग महाकुंभ मेले में शामिल होने के लिए आ रहे हैं। मां को स्नान करके नाग वासुकी मंदिर में दर्शन करना जरूरी है वरना आपका स्नान करना अधूरा माना जाएगा और इसका पूर्ण फल नहीं मिलेगा। आईए जानते हैं नागवासुकी मंदिर की कहानी…

नागवासुकी मंदिर की पौराणिक कथा ( Naag Vasuki Temple )

प्राचीन कथाओं के अनुसार नाग वासुकी को सर्पराज के रूप में पूजा जाता है और वासुकी को ही समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और असुरों ने रस्सी के तरह इस्तेमाल किया था। जब बसुकी देव का पूरा शरीर जख्मी हो गया तब वह त्रिवेणी संगम पर आकर विश्राम किए थे और यहां स्नान करने से उनके घाव ठीक हो गए। हालांकि उनके सामने शर्त रखा गया था कि वह यहीं पर स्थाई निवास करेंगे इसके बाद वह यहां स्थाई रूप से निवास करने लगे।

प्रयागराज के दारागंज मोहल्ले में नाग वासुकी मंदिर गंगा नदी के किनारे स्थित है और यहां आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है की गंगा की थ्री वेज जब पाताल लोक की ओर बढ़ रहा था तब नाग वासुकी ने अपने फन से भगवती तीर्थ का निर्माण किया जो आज श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। आपको बता दे कि यह मंदिर सिर्फ धार्मिक स्थल नहीं है बल्कि यहां तंत्र-मंत्र की पूजा भी होती है खासकर नाग पंचमी के दिन यहां बहुत बड़ा मेला लगता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नाग पंचमी के दिन यहां चांदी के नाग नागिन अर्पित करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।

जानिए क्या है परंपरा

मंदिर में नियमित रूप से खास पूजा होती है जिसमें हर महीने की पंचमी तिथि पर पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है और इसके साथ ही संगम स्नान के बाद नाग वासुकी के दर्शन करने की परंपरा है।यहां पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव होते हैं और उन्हें भौतिक तथा मानसिक शांति मिलती है।

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