Home धर्म/ज्योतिष Navratri 7th Day Maa Kalratri Puja Vidhi : महासप्तमी पर ऐसे करें...

Navratri 7th Day Maa Kalratri Puja Vidhi : महासप्तमी पर ऐसे करें मां कालरात्रि की आराधना, होगा चमत्कार

Navratri 7th Day Maa Kalratri Puja Vidhi: नवरात्रि के सप्तमी को महासप्तमी भी कहते हैं। इस दिन मां दूर्गा के सातवें स्वरुप कालरात्रि की पूजा-आराधना की मान्यता है। सच्चे मन से माता रानी के इस रूप की पूजा अर्चना करने से जातक के सभी दूख-दर्द दूर हो जाते हैं और खुशियों से जीवन भर जाता है।

Navratri 7th Day Maa Kalratri Puja Vidhi: इन दिनों नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है और आज शनिवार को नवरात्रि की सप्तमी तिथि है। नवरात्रि में सातवें दिन को महासप्तमी भी कहा जाता है। इस दिन माता रानी की सातवीं शक्ति मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। मान्यता के मुताबिक मां कालरात्रि त्री नेत्रधारी हैं और इनके गले में विद्युत की अद्भुत माला है। साथ ही इनके हाथों में खड्ग और कांटा है। माता रानी का वाहन गधा है। माता हमेशा अपने भक्तों का कल्याण करती हैं, इसलिए इन्हें शुभंकरी भी कहा जाता है। इनकी उपासना मात्र से जातक के जीवन के सारे दुख-दर्द और संकट दूर हो जाते हैं। आइए भागवताचार्य आचार्य आशीष राघव द्विवेदी जी से जानते हैं मां कालरात्रि के महात्म्य, पूजा विधि समेत तमाम कथाओं के बारे में…

ऐसा है मां कालरात्रि का स्वरूप 

मान्यता है कि माता दुर्गा को रूप शुम्भ, निशुम्भ और रक्तबीज नाम के राक्षक को मारने के लिए कालरात्रि का रुप लेना पड़ा था। माता कालरात्रि का शरीर अंधकार की तरह काला है और इनके श्वास से आग निकलती है। इनके गले में विद्युत की चमक वाली माला है। माता के केश बड़े और बिखरे हुए हैं। माता के तीन नेत्र ब्रह्माण्ड की तरह विशाल और गोल हैं। जिससे से बिजली की भांति किरणें निकलती रहती हैं। माता के चार हाथ हैं, जिनमें एक हाथ में खडग यानी तलवार, दूसरे में लौह अस्त्र, तीसरे हाथ अभय मुद्रा में है और चौथा वरमुद्रा में है। माता का यह स्वरूप भय दुष्टों और पापियों में उत्पन्न करने वाला और उनका नाश करने वाला है।
 Navratri 7th Day Maa Kalratri Puja Vidhi

मां कालरात्रि की पूजा का फल

इसके साथ ही माता अपने तीनों बड़े-बड़े नेत्रों से भक्तों पर दृष्टि बनाई रखती हैं। साथ ही माता की कृपा से भूत प्रेत, अकाल मृत्यु, रोग, शोक आदि सभी प्रकार की परेशानियां समाप्त हो जाती हैं।  माता के इस स्वरुप की आराधना से जातक के भय, दुर्घटना रोगों का नाश होता है और नकारात्मक (तंत्र-मंत्र) ऊर्जा का भी असर नहीं होता है। साथ ही कुंडली में शनि ग्रह के नाकारात्मक प्रभाव से भी छुटकारा भी मिलता है।

यह भी पढ़ें- नवरात्रि के नौ दिन पहने 9 अलग-अलग रंग के कपड़े, माता होती हैं प्रसन्न 

मां कालरात्रि की उत्पत्ति की कथा और मान्यता

पौराणिक कथा के मुताबिक तीनों लोकों में दैत्य शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज ने हाहाकार मचा रखा था। इससे परेशान होकर सभी देवतागण भगवान शिव के पास गए और उनसे मदद मांगी। तब शिवजी ने देवी पार्वती से शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज समेत सभी राक्षसों का वध कर अपने भक्तों की रक्षा की अपील की। शिवजी की बात मानकर पार्वती जी ने दुर्गा का रूप धारण किया और शुंभ-निशुंभ समेत सभी राक्षसों का वध कर दिया।

लेकिन जैसे ही रक्तबीज को मारा मां दुर्गा ने उसके शरीर से निकलने वाले रक्त से लाखों रक्तबीज उत्पन्न हो गए। इसके बाद माता दुर्गा ने अपने तेज से कालरात्रि को उत्पन्न किया और रक्तबीज को फिर से मारते हुए उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को अपने मुख में भर लिया और सबका गला काटते हुए रक्तबीज का वध कर दिया।

यह भी पढ़ें-  अष्टमी और नवमी के दिन करें इन चीजों की खरीदारी, रखें इन खास बातों का ध्यान

मां कालरात्रि की पूजा विधि और नियम

नवरात्रि के सातवें दिन ब्रह्म मुहूर्त में प्रातः स्नान कर माता कालरात्रि के समक्ष घी का दीपक जलाएं। देवी माता को लाल फूल अर्पित करने करने के बाद गुड़ का भोग लगाएं। इसके बाद देवी माता के मंत्रों का जाप और संभव हो तो सप्तशती का भी पाठ कर उनकी आरती करें। इसके बाद गुड़ का आधा भाग परिवार में बाटें और बाकी आधा गुड़ किसी ब्राह्मण को दे दें।

यह भी पढ़ें-  

मां कालरात्रि मंत्र

  1. ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:। 
  2. ॐ कालरात्र्यै नम:।

शत्रुओं से छुटकारा पाने के उपाय और मंत्री

मां कालरात्रि मंत्र जाप के बाद नवार्ण मंत्र ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे’ का 108 बार पढ़ते हुए एक-एक लौंग चढ़ाते जाएं। इसके बाद सभी 108 लौंग को इकठ्ठा करके अग्नि में डाल दें। इससे आपका विरोधी और शत्रु शांत होंगे और उनसे आपको छुटकारा मिल जाएगा।

तमाम खबरों के लिए हमें Facebook पर लाइक करें, Twitter और Kooapp पर फॉलो करें। Vidhan News पर विस्तार से पढ़ें ताजा-तरीन खबरें।
Exit mobile version