Navratri Mahashtami Mahagauri Mata Puja Vidhi and Upay : 15 अक्टूबर से शुरू नवरात्रि अब अपने अंतिम पड़ाव है। आज शारदीय नवरात्र का आठवां दिन यानी महाअष्टमी है। महाअष्टमी के दिन मां दूर्गा के आठवें स्वरुप मां महागौरी की पूजा अर्चना की मान्यता है। महागौरी माता का रंग अंत्यत गोरा और इनकी चार भुजाएं हैं। माता बैल की सवारी करती हैं और माता का स्वभाव बहुत ही शांत है। मान्यता है कि माता के इस स्वरुप से ध्यान मात्र से जातक को धन, यश, भाग्य, स्वास्थ्य के साथ-साथ मनमांगी मुराद की प्राप्ति होती है। आइये आचार्य आशीष राघव द्विवेदी जी से जानते हैं महाअष्टमी व्रत, पूजा विधि, उपाय, कथा समेत समस्त बातों के बारे में…
मां महागौरी की कथा (Maa Mahagauri Katha)
पौराणिक कथा के मुताबिक माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए हजारों वर्षों तक निराहार घोर और कठोर तपस्या की। इस दौरान उनका शरीर काला पड़ गया। माता की तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए तो उन्होंने मां को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। इसके बाद जैसे ही माता पार्वती ने जैसे ही गंगा नदी में प्रवेश कर स्नान किया उनकी काली त्वचा पूरी तरह से धुल गई और वह अत्यंत कांतिमय बना गई। वह सफेद वस्त्र और परिधान पहने हुए एक खूबसूरत महिला के रूप में वापस आईं। इसलिए मां पार्वती के इस स्वरूप को महागौरी के नाम से जाना गया।
महाअष्टमी तिथि और शुभ मुहूर्त
महाअष्टमी तिथि का आरंभ प्रवेश 21 अक्टूबर को ही रात्रि 8:00 बजे से ही जाएगा, लेकिन उदया तिथि 22 अक्टूबर को होने के कारण महाअष्टमी पूजन और व्रत रविवार को ही रखा जाएगा। महाअष्टमी के दिन कई घरों में कन्या पूजन का भी विधान है।
महाअष्टमी कन्या पूजन शुभ मुहूर्त
कन्या पूजन के लिए महाअष्टमी के दिन 22 अक्टूबर रविवार सुबह 7.51 मिनट से 9.16 मिनट तक का समय उत्तम है। इसके बाद 9.16 बजे से लेकर 10.41 बजे तक भी मुहूर्त है। साथ ही अमृतकाल 10.41 बजे से 12.01 बजे के बीच कन्या पूजन करना शुभ रहेगा।
महाअष्टमी पर खोइछा भरने का शुभ मुहूर्त
ऐसे तो महाअष्टमी को पूरे दिन शुभ मुहूर्त होते हैं। लेकिन खोइछा भरने के लिए संध्या काल 6:00 बजे से रात्रि के 9:00 बजे तक का समय सबसे उत्तम है। इस दौरान माताएं और बहने संध्या काल में मंदिर या फिर पंडाल में जाकर माता रानी का खोइछा भर सकती हैं। दरअसल खोइछा भराई संध्या में ही किए जाने की मान्यता है।
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महाअष्टमी व्रत का महात्म्य
शास्त्रों में दुर्गा अष्टमी यानी महाअष्टमी के व्रत को सबसे ताकतवर व्रतों में से एक बताया गया है। इस दिन बड़ी तादाद में माता रानी के भक्त निर्जला व्रत रखते हैं। वहीं मताएं एवं बहने शाम के समय अपने आंचल में अरवा चावल, दुब्रि, हल्दी सहित अलग-अलग श्रृंगार सामग्री लेकर आंचल तैयार करती हैं और मंदिर या फिर दुर्गा पंडाल में जाकर माता रानी के सामने दीपक जलाकर माता को आंचल अर्पण करती हैं साथ ही मन्नतें भी मांगती है।
मां महागौरी पूजा विधि
सुबह प्रात:काल अमृत वेला में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ एवं साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद मात की प्रतिमा को गंगाजल या फिर शुद्ध जल से स्नान करा कर माता रानी को सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करें। इसके माता को सफेद पुष्प अर्पित कर रोली और कुमकुम लगाएं। फिर माता को काले चने, मिष्ठान, पंच मेवा, फल आदि अर्पित कर भोग लगा कर माता का ध्यान करें। अब माता की आरती करें। इस दौरान ‘या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी-रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः…’ मंत्र का ध्यान और जाप करें।
मां महागौरी मंत्र
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥ या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।
मां महागौरी पूजा का महत्व
- मन्याता के मुताबिक मां महागौरी की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करने से विवाह में आ रही समस्याएं दूर होती है और जातक को माता रानी की कृपा से मनपंसद जीवनसाथी मिलता है।
- मां महागौरी की अराधना से जातक के सभी कष्ट दूर होते हैं और पापों से मुक्ति मिलती है। सुख-समृद्धि के साथ-साथ सौभाग्य की प्राप्ति होती है और बिगड़े काम भी बनने लगते हैं।
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महाअष्टमी के दिन करें ये अचूक उपाय
- मनोकामना पूर्ति के लिए उपाय
महाअष्टमी के दिन मां दुर्गा को लौंग और लाल फूल अर्पित करते हैं तो माता जल्द प्रसन्न होती है और जातक के जीवन के सभी प्रकार के कष्टों दूर कर उनकी मनोकामना पूर्ण करती हैं।
2. बिगड़े कार्य पूर्ति हेतु उपाय
शारदीय नवरात्रि अष्टमी के दिन मां महागौरी को लाल रंग की चुनरी में एक सिक्का और बताशा अर्पित करने से सभी बिगड़े कार्य पूर्ण होने लगते हैं।
3. संकट में माता रानी की सदैव कृपा के लिए
महाअष्टमी तिथि के दिन कन्या पूजन करने का विधान है। 9 कन्याओं उनके पसंद की सात्विक भोजन करने के बाद उन्हें लाल चुनरी के साथ अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार उपहार भेंट करने से माता रानी की जातक पर सदैव कृपा बनी रहती है।
4. रोग और दोष का नाश के उपाय
नवरात्रि महाष्टमी के दिन तुलसी के पौधे के पास 9 दीपक जलाना कर उनकी परिक्रमा करने से घर से सभी प्रकार के रोग और दोष का नाश होता है।
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(डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धर्म और ज्योतिष पर आधारित है। Vidhan News इसकी पुष्टि नहीं करता है और किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें।)
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