Panch Kedar: हिमालय में शिव को समर्पित पांच मंदिरों के समूह को पंच केदार कहा जाता है। मानयता है कि इन सभी मंदिरों का निर्माण पांडव व उनके वंशजों ने करवाया था। इन पांच मंदिरों में केदारनाथ, द्वितीय केदार मध्यमेश्वर, तृतीय केदार तुंगनाथ व चतुर्थ केदार रुद्रनाथ और पंचम केदार कल्पेश्वर शामिल है। केदार कल्पेश्वर ही एकमात्र ऐसा धाम है, जो पूरे साल भर दर्शन के लिए खुला रहता है और बाकि चारों मंदिर के कपाट शीतकाल में बंद हो जाते है।
इन पांचों धामों में से केदारनाथ सबसे मुख्य धाम है, जो हिमालय के प्रसिद्ध चारधाम में से एक है। केदारनाथ धाम में भगवान शिव बैल की पीठ की आकृति-पिंड के रूप में पूजे जाते हैं। जबकि,मध्यमेश्वर में भगवान, बैल की नाभि, तुंगनाथ में भुजा,रुद्रनाथ में मुख और कल्पेश्वर में जटा के रुप में पूजे जाते है।
केदारनाथ धाम
केदारनाथ धाम उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्तिथ है। बारह ज्योतिर्लिंगों में शामिल केदारनाथ धाम में भगवान शिव के बैल रूप में पृष्ठ भाग के दर्शन होते हैं। केदारनाथ मंदिर के बारे में मान्यता है कि इसका निर्माण पांडवों के वंशज जन्मेजय ने कराया था, जबकि आदि शंकराचार्य ने मंदिर का नवीकरण करवाया था। मंदिर की विशेषता ये है कि जब वर्ष 2013 में भीषण आपदा आई थी तो इसे आंच तक नहीं आई थी।
मध्यमेश्वर धाम
रुद्रप्रयाग जिले में स्थित द्वितीय केदार मध्यमेश्वर धाम में बैल रूप में भगवान शिव के मध्य भाग के दर्शन होते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार नैसर्गिक सुंदरता के कारण ही शिव-पार्वती ने मधुचंद्र रात्रि भी यहीं मनाई थी। मान्यता ये भी है कि यहां के जल की कुछ बूंदें ही मोक्ष के लिए पर्याप्त हैं। मध्यमेश्वर धाम में शीतकाल में छह महीने के लिए कपाट बंद कर दिए जाते है।
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तुंगनाथ धाम
तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ का धाम रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। इस धाम में बैल रूपी शिव का धड़ की पूजा की जाती है। मानयता है कि भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पांडवों ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था । वर्तमान में इस मंदिर को एक हजार वर्ष से भी अधिक पुराना माना जाता है। शीतकाल में यहां भी छह महिने के लिए कपाट बंद रहते हैं।
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रुद्रनाथ धाम
चतुर्थ केदार के रूप में भगवान रुद्रनाथ जगप्रसिद्ध हैं। ये मंदिर चमोली जिले में एक गुफा में स्थित है। भारत में ये अकेला ऐसा स्थान है, जहां भगवान शिव के मुख की पूजा होती है। एकानन के रूप में रुद्रनाथ, चतुरानन के रूप में पशुपतिनाथ नेपाल और पंचानन के रूप में इंडोनेशिया में भगवान शिव के मुख दर्शन होते हैं।
कल्पेश्वर धाम
पंचम केदार के रूप में कल्पेश्वर धाम है। ये मंदिर चमोली जिले में स्थित है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए दस किमी का सफर पैदल तय करना पड़ता है। कल्पेश्वर धाम को कल्पनाथ नाम से भी जाना जाता है। यहां शिव के जटा रूप में दर्शन होते हैं। मानयता है कि इस जगह पर दुर्वासा ऋषि ने कल्प वृक्ष के नीचे घोर तप किया था। तभी से यह स्थान कल्पेश्वर या कल्पनाथ के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
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