
पूजा में बदल जाता है पत्नी का स्थान
पूजा में दाएं तरफ क्यों बैठती है पत्नी?
पूजा में मां के पद पर बैठती है पत्नी
हिंदू शास्त्रों और ज्योतिष के अनुसार पूजा का पूर्ण फल प्राप्त करने और इसके शुभ लाभ के लिए यह नियम पालन करना अनिवार्य माना जाता है। धार्मिक कार्यों में पति-पत्नी के बैठने की दिशा का का ध्यान रखना जरूरी माना जाता है, जिससे जीवन में कई लाभ मिल सकें। ऐसा माना जाता है कि किसी को आशीर्वाद देते समय महिलाएं मां की भूमिका में आती हैं।
भक्ति का प्रतीक है दाहिना हिस्सा
ज्योतिष के अनुसार हमेशा से ही दाहिने हाथ को शक्ति और कर्तव्यों का प्रतीक माना जाता रहा है। इसी वजह से सभी काम दाहिने हाथ से ही करने की सलाह दी जाती है। इसके साथ ही दाहिने हिस्से को भक्ति का प्रतीक माना जाता है और पूजा-पाठ के दौरान इसी दिशा में बैठने की सलाह दी जाती है। वहीं बायां हिस्सा प्रेम का प्रतीक माना जाता है इसलिए पत्नी को शादी और इसकी रस्मों में बाईं ओर बैठाया जाता है।
काम इच्छाओं को रोकने के लिए बदला जाता है स्थान
ऐसी मान्यता है कि विवाह जैसे अनुष्ठान में दुल्हन हमेशा दूल्हे के बाएं हाथ की तरफ ही बैठती है क्योंकि बाईं तरफ ह्रदय का स्थान होता है और इस दिशा में बैठने से वो होने वाले पति के ह्रदय से जुड़ जाती है। वहीं पूजा-पाठ का संबंध ईश्वर से माना जाता है और इस दौरान पति-पत्नी का जुड़ाव ईश्वर भक्ति में लगाने के लिए ही उसे पति के दाहिनी तरफ बैठने की सलाह दी जाती है।
तमाम खबरों के लिए हमें Facebook पर लाइक करें Twitter , Kooapp और YouTube पर फॉलो करें। Vidhan News पर विस्तार से पढ़ें ताजा-तरीन खबरे