Premanand Ji Maharaj: मानवता का विकास स्वामी प्रेमानंद जी के जीवन का पहला उद्देश्य है। मानव सेवा ही उनका परमोधर्म है, जिसके रास्ते पर चलकर वो मानव जाति को सकारात्मकता और आध्यात्कता का पाठ पढ़ा रहे हैं। प्रेमानंद महाराज जी के दर्शन हेतु हजारों श्रृद्दालु रोज आते हैं, उनके प्रवचन सुनते हैं और जीवन में अपनाकर आगे का मार्ग प्रशस्त करते हैं। प्रेमानंद महाराज कई लोगों की समस्याएं सुनते हैं और उनके सवालों का समाधान देते हैं।
ऐसी ही एक समस्या जातक ने महाराज जी से पूछ ली कि मन में आने वाले बुरे विचारों से कैसा निपटा जाएं।
सवाल
ऐसे ही एक भक्त ने उनसे सवाल किया कि मन में बुरे विचार क्यों आते हैं और उससे कैसे बचा जाए? चलिए जानते हैं उनके जवाब क्या है।
नियंत्रित करना जरूरी
उन्होंने कहा कि मन तो चंचल है और इसकी गति इतनी तीव्र है कि इसे नियंत्रित करना सबसे मुश्किल काम है।
साधक का जीवन
वो कहते हैं कि एक साधक पूरा जीवन इसे नियंत्रित करने में ही लगा देता है। लेकिन अगर आपके मन में लगातार बुरी और अनहोनी भरे ख्याल आते हैं।
पूर्व जन्मों के कर्म
वो कहते हैं कि ये आपके पूर्व जन्मों के कर्म से प्रेरित होते हैं। आपके पूर्व जन्म के कर्मों का प्रभाव ही आपको चिंता, परेशानी और ऐसे विचार देता है, जिसमें आप फंसे रहते हैं।
नुकसान
उन्होंने कहा कि आप जानते हैं कि ऐसे विचार आपका नुकसान कर रहे हैं, लेकिन आप चाहकर भी ऐसे विचारों को झटक नहीं पाते।
उपाय
प्रेमानंद जी ने इसका उपाय बताते हुए कहा कि आपका मन बहुत चतुर है। वो कष्ट नहीं चाहता, इसलिए अच्छे विचारों से बचने का मार्ग ढूंढता रहता है।
भजन-कीर्तन करें
मन को शांत और पवित्र करने के लिए नाम जप या भजन-कीर्तन करें। संत प्रेमानंद जी के अनुसार जब मन भक्ति में लीन होता है, तो बुरे विचार अपने-आप हट जाते हैं।
Disclaimer:- यह जानकारी सिर्फ मान्यताओं, धर्मग्रंथों और विभिन्न माध्यमों पर आधारित है। किसी भी जानकारी को मानने से पहले विशेषज्ञों से सलाह लें। Vidhanews किसी भी तरह की त्रुटि के लिए जिम्मेदार नहीं है।