Psychology Tips in Puja : पूजा करने के समय अक्सर मन में दिन भर के विचार क्यों आते हैं। खासकर मंत्र उच्चारण या ध्यान करते समय आने वाले दिनों में किए जाने वाले कार्यों के बारे में हम अक्सर सोचने लगते हैं। पूजा करते समय हम बैठे तो मूर्ति के सामने होते हैं लेकिन हमारा मन हमारे साथ नहीं होता, पूजा स्थल पर केवल शरीर उपस्थित होता है मन कहीं और रहता है। इसके पीछे एक साइकोलॉजिकल तथ्य बताया गया है। पूजा करने के दौरान जब आप कोई मंत्र उच्चारण पांच या जाप कर रहे होते हो तब आपका मस्तिष्क बिल्कुल शांत होता है।
कई बार व्यक्ति भगवान की भक्ति करते-करते कहीं और खो जाता है। ऐसा होने पर आपका ध्यान भगवान से हटकर भटक जाता है। अगर आपके साथ भी ऐसा होता है। आखिर पूजा के समय ही ये विचार और दृश्य दिमाग में क्यों आते हैं। आखिर इसका क्या मतलब है। तो आइए जानते हैं, अगर ऐसा होता है तो उस समय क्या करना चाहिए और ये विचार आखिर आते क्यों हैं।
पूजा के समय शून्य होता है मस्तिष्क
पूजा करते समय कभी-कभी हमारा मन और शरीर दोनों अलग-अलग अवस्था में हो जाते हैं। जब आपका शरीर मंदिर में भगवान के सामने बैठा होता है उसे समय आप ध्यान की मुद्रा में तो होते हो लेकिन आपका मन कहीं और दूसरे विचारों में गिरा हुआ होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उसे समय आपका मन शांत होता है। खाली मस्तिष्क होने की वजह से आप उसे समय केवल उन विचारों के बारे में सो पाते हो जिन्हें आप करना चाहते हो या करने की योजना बना रहे होते हो।
व्यक्ति के पास होते हैं दो मन
ज्योतिषियों का मानना है कि, व्यक्ति के दो मन होते हैं, एक शुद्ध मन और दूसरा अशुद्ध मन। अशुद्ध मन होने पर व्यक्ति के मन में कामनाएं बलवती होने लगती हैं और वहीं कामना रहित मन को शुद्ध माना जाता है। मान्यता है व्यक्ति शुद्ध मन से भगवान भक्ति करता है, तो उसे ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
तनाव से पूजा में भटकता है मन
तनाव की वजह से दैनिक कामों में भी मन नहीं लग पाता है। पूजा-पाठ करते हैं, लेकिन मन इधर-उधर भटकते रहता है। ऐसी पूजा करने से कोई लाभ नहीं मिलता है। मन शांत करने और एकाग्रता बढ़ाने के लिए रोज सुबह कुछ देर ध्यान करना चाहिए।
अधिक प्रसन्नता में नहीं लगता मन
कई बार हम अपने दैनिक जीवन में किसी गतिविधि से काफी ज्यादा खुश होते हैं। अधिक प्रसन्नता की वजह से पूजा करते समय हमारा मन भगवान में नहीं लग पाता। इस दौरान इस दौरान व्यक्ति का मन बार-बार इस घटना की तरफ मन को खींचता रहता है।
अवसाद में खोया रहता है मन
जब आपके जीवन में कोई बहुत बड़ा दुख आ जाता है, जिसकी वजह से आप हर वक्त चिंता में डूबे रहते हैं। ऐसे समय में तो ऐसे समय में मन पूजा में नहीं लग पाता और बार-बार घबराता रहता है।
पूजा करते समय गंदे विचार आना
कामना रहित मन को शुद्ध मन माना जाता है। कहा गया है कि अगर व्यक्ति शुद्ध मन के साथ भगवान की भक्ति करता है, तो उसे ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं, अगर पूजा के समय किसी व्यक्ति को मन में गंदे विचार आते हैं, तो घबराएं नहीं बल्कि उन्हें आने देना चाहिए।
पूजा के समय मन में विचार आए तो क्या करें
अगर पूजा के समय किसी व्यक्ति के मन में गंदे विचार आएं तो घबराएं नहीं, बल्कि उन्हें आने देना चाहिए। ज्योतिष के जानकार बताते हैं कि जैसे नल चलाने पर शुरूआत में पहले गंदा पानी बाहर आता है, ठीक वैसे ही भगवान की भक्ति करते समय अगर अटपटे विचार आते हैं तो ये मन की गंदगी को बाहर निकालते हैं। यह बात केवल गंदे विचारों के लिए ही नहीं बल्कि मन में आने वाले उन सभी विचारों के लिए कही गई है जो पूजा के समय मन को अपने वश में कर लेते हैं।
क्या कहती है साइकोलॉजी
ज्योतिष के इस तथ्य को साइकोलॉजी ने भी माना है। साइकोलॉजी की माने तो पूजा करते समय जब आप मंत्र उच्चारण या जाप करते हैं तो बार-बार मन आपके दैनिक क्रियाओं के बारे में सोचता है। यहां तक की आपका शरीर उसे स्थान पर उपस्थित होता है लेकिन आपका मन आपके शरीर से काफी दूर होता है। की वजह है कि कई बार आपको महसूस भी नहीं होता की वर्तमान समय में आप क्या कर रहे थे।
विचारों को लिखने का प्रयास करें
अगर आप पूजा के समान अपने मन को भगवान के ध्यान में लगाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको चिताओं से मुक्त होना पड़ेगा। आपकी जो भी दैनिक क्रियाएं हैं या भविष्य की जो भी योजनाएं हैं, उनके विषय में काम से कम सोचना चाहिए। इसके लिए आपको इसके लिए आपको अपनी भविष्य की योजनाओं को सोचने के बजाय लिखने का प्रयास करना चाहिए। अगर आप अपने विचारों को मन में दोहराने की जगह पर लिखकर रखेंगे तो वह विचार हर वक्त आपके मन को वश में नहीं कर पाएंगे। इस तरह आप पूजा के समय अपने मन को भगवान के ध्यान में लगा पाएंगे।
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