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Bhog Lagane Ke Niyam: भोग लगाते समय न करें ये गलती, जानें सही तरीका

Bhog Lagane Ke Niyam: जैसे हर चीज का नियम होता है, वैसे ही पूजा पाठ व भोग लगाने के भी अपने नियम होते हैं। नियमानुसार भोग लगाएं तो वह अधिक फलदायी होता है।

Bhog Lagane Ke Niyam

Bhog Lagane Ke Niyam: पूजा-पाठ के दौरान ईश्‍वर को भोग चढ़ाना एक प्रमुख हिस्‍सा रहा है। यह अमूमन सभी करते हैं पर जरूरी नहीं कि सभी सही नियमों का भी पालन करते हों। कुछ लोग खास पकवान बनाते हैं, मिठाई भी चढ़ाते हैं पर पसाद चढ़ाने के लिए कौन सा पकवान सही है, वह मिठाई किस भगवान को अर्पित करें, यह पता हो तो प्रसाद चढ़ाने का उचित फल मिल सकता है। आइये आचार्य आशीष राघव द्विवेदी जी से जानते हैं भोग लगाने का सही तरीका और मंत्र समेत तमाम जानकारी…

Bhog Lagane Ke Niyam
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अलग देवता के लिए अलग भोग

यदि आप सभी देवता को एक ही तरह का भोग लगाते हैं तो बता दें कि हर देवता का अपना अलग भोग लगता है। दरअसल, उस देवता को वही भोग पसंद होता है। जैसे भगवान विष्‍णु को अलग तो ब्रह्मा जी और शिवजी को अलग तरीके का भोग पसंद है, इसलिए आपको उन्‍हें उसी अनुसार भोग लगाना चाहिए।

किनको कौन सा भोग

मान्‍यता है कि भगवान विष्णु को खीर या सूजी का हलवा प्रिय है। ऐसी भी मान्‍यता है कि इस भोग में आपको तुलसी का पत्‍ता रख देना चाहिए। इसके बाद ही भगवान उन्‍हें ग्रहण करते हैं, माता लक्ष्मी को भी यही भोग लगाएं।भगवान शिव को भांग, धतुरा, पंचामृत प्रिय है, इसलिए उन्‍हें यह भोग लगाएं उन्‍हें कुछ मीठा भी अर्पित करें। माता पार्वती को खीर का भोग लगाना अच्‍छा माना जाता है।

सात्विकता का ध्‍यान रखें

यह हमेशा ध्‍यान रखें कि भगवान को जो प्रसाद चढ़ाया जाए वे पूरी तरह साफ, शुद्ध और सात्विक हों। यदि आप उन्‍हें पकवान अर्पित करना चाहते हैं तो साफ-सफाई रखना न भूलें बर्तन साफ व स्‍वच्‍छ हों, इसके प्रति आश्‍वस्‍त हो लें।

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जूठा तो नहीं

कहते तो हैं कि भक्‍त के भाव के भूखे हैं भगवान, तभी सबरी के जूठे बेर खा लिए। पर इसका अर्थ यह नहीं कि उन्‍हें जूठा या किसी तरह का अपवित्र प्रसाद चढ़ाएं। पहले उन्‍हें भोग लगाएं तभी उसे ग्रहण करें। इसलिए हमारे यहां ऐसी भी मान्‍यता है कि भोग में चढ़ाई जाने वाली वस्तु हो तो उसे पहले ही अलग कर लेना चाहिए, इसके बाद भोग अर्पित कर उस वस्‍तु को मिल बांट कर खा लेना चाहिए।

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मंत्र का उच्‍चारण (Bhog Lagane Ke Mantra)

भगवान को भोग चढ़ाते समय किस मंत्र का जाप करना है, यह सबको पता नहीं होता। आइए जानें कि आपको भोग लगाते समय किस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए…

त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये ।
गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।।

इस श्लोक का अर्थ स्‍पष्‍ट करें तो यह इस प्रकार है- हे ईश्वर मेरे पास जो भी है वह सब आपने ही दिया है आपको आपका दिया समर्पित करता हूं कृपया इसे ग्रहण करें व मेरे ऊपर प्रसन्न हों।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। Vidhan News इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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