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Surya Ashtak Stotra Path: मनचाहा लक्ष्य पाने के लिए रविवार को करें सूर्य अष्टक स्तोत्र पाठ, पूर्ण होंगी सारी मनोकामनाएं

Surya Ashtak Stotra Path: सूर्य का हमारे जीवन में बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है। अगर जातक की कुंडली में सूर्य मजबूत हो तो उसके जीवन में पद-प्रतिष्ठा और मान-सम्मान में लगातार वृद्धि होती है। ज्योतिष शास्त्र में भी मनचाहा मुकाम हासिल करने के लिए लोगों को अपने कुंडली में सूर्य मजबूत करने की सलाह दी जाती है। तो आइए जानते हैं कुंडली में सूर्य ग्रह मजबूत करने, सरकारी नौकरी हासिल करने और सूर्य अष्टक स्तोत्र पाठ की पूजा विधि।

Surya Ashtak Stotra Path
Surya Ashtak Stotra Path

सरकारी नौकरी पाने के लिए इस तरह करें सूर्य की पूजा

कुंडली में सूर्य ग्रह को मजबूत करने के लिए किसी भी विशेष प्रयोजन की आवश्यकता नहीं होती। भगवान सूर्य मात्र इस छोटी सी पूजा विधि से ही प्रसन्न हो जाते हैं। जिस किसी को भी सरकारी नौकरी की कामना है, उसे रोज़ जल में रोली या कुमकुम मिश्रित कर सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। साथ ही सूर्य अष्टक स्तोत्र का पाठ भी करना चाहिए। अगर प्रतिदिन करने में सक्षम न हो तो रविवार के दिन अवश्य ही करना चाहिए। ऐसा करने से जातक के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के मानसिक और शारीरिक कष्टों का भी नाश हो जाता है।

Surya Ashtak Stotra Path

सूर्यमंडल अष्टक स्तोत्रम् :

मः सवित्रे जगदेकचक्षुषे जगत्प्रसूतिस्थितिनाश हेतवे ।

त्रयीमयाय त्रिगुणात्मधारिणे विरञ्चि नारायण शंकरात्मने॥

यन्मडलं दीप्तिकरं विशालं रत्नप्रभं तीव्रमनादिरुपम्

दारिद्र्यदुःखक्षयकारणं पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम्

यन्मण्डलं देवगणै: सुपूजितं विप्रैः स्तुत्यं भावमुक्तिकोविदम्।

तं देवदेवं प्रणमामि सूर्यं पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम् ॥

यन्मडलं गूढमतिप्रबोधं धर्मस्य वृद्धिं कुरुते जनानाम्

यत्सर्वपापक्षयकारणं पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम्

यन्मडलं व्याधिविनाशदक्षं यदृग्यजु: सामसु सम्प्रगीतम् ।

प्रकाशितं येन च भुर्भुव: स्व: पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम् ॥

यन्मडलं वेदविदो वदन्ति गायन्ति यच्चारणसिद्धसंघाः

यद्योगितो योगजुषां संघाः पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम्

यन्मडलं सर्वजनेषु पूजितं ज्योतिश्च कुर्यादिह मर्त्यलोके ।

यत्कालकल्पक्षयकारणं च पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम् ॥

यन्मडलं विश्वसृजां प्रसिद्धमुत्पत्तिरक्षाप्रलयप्रगल्भम्

यस्मिन् जगत् संहरतेऽखिलं पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम्॥

यन्मडलं सर्वगतस्य विष्णोरात्मा परं धाम विशुद्ध तत्त्वम् ।

सूक्ष्मान्तरैर्योगपथानुगम्यं पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम् ॥

यन्मडलं वेदविदि वदन्ति गायन्ति यच्चारणसिद्धसंघाः

यन्मण्डलं वेदविदः स्मरन्ति पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम्

यन्मडलं वेदविदोपगीतं यद्योगिनां योगपथानुगम्यम् ।

तत्सर्ववेदं प्रणमामि सूर्य पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम् ॥

मण्डलात्मकमिदं पुण्यं यः पठेत् सततं नरः ।

सर्वपापविशुद्धात्मा सूर्यलोके महीयते ॥

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(डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है और यहां केवल सूचना के लिए दी गई ही है। Vidhan News इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।)

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