Shadi Ke Saat Phere Reason And Importance: हिंदु धर्म में हर संस्कार का विशेष महत्व है। सबके अपने नियम होते हैं और उन नियमों पर चलना परंपरागत रूप से जरूरी माना जाता है। जैसे विवाह में सात फेरों का महत्व है। इसे सप्तपदी भी कहा जाता है। इसके बाद ही विवाह संस्कार पूरा होता है। इसमें वर वधु अग्नि को साक्षी मानकर उसके चारों ओर सात फेरे लेते हैं और परस्पर साथ निभाने का वादा करते हैं। सात फेरे का हर फेरा विशेष होता है। हर फेरे एक नया अर्थ लिए होते हैं, जो विवाहित जोड़े को आपस में जोड़े रखने के लिए जरूरी मानते जाते हैं।

23 नवंबर 2023 को देवउठनी एकादशी और 24 नवंबर को तुलसी विवाह है, इसके साथ ही मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। इस साल नवंबर और दिसंबर में जमकर शादी की शहनाई बजने वाली है। यानी देश में एकबार फिर से शादी-व्याह और लग्न का सीजन शुरू होने जा रहा है तो ऐसे में ज्योतिषविद डॉ. रश्मि टॉक से जानने की कोशिश करते हैं कि शादी में लिए जाने वाले सात फेरे का क्या अर्थ और महत्व है…
हिंदू सनातन धर्म में अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे के बिना विवाह संपन्न नहीं माना जाता है। धार्मिक मान्यता है मनुष्य सात जन्म लेता है, इसलिए पति-पत्नी को सात जन्मों का साथी भी कहा जाता है। विवाह संस्कार के दौरान वर-वधू के साथ फेरे लेने को प्रक्रिया को सप्तपदी भी कहा जाता हैं। सात फेरे लेते समय वर-वधू अग्नि को साक्षी मानाकर उसके चारों ओर सात फेरे लेते हैं। और एक दूसरे को पति-पत्नी के रिश्ते को निभाने का वचन देते हैं।
सात है शुभ अंक
सात फेरे ही क्यों, आपके मन में यह सवाल आता होगा। दरअसल, जैसे इंद्रधनुष के सात रंग, जैसे सात तारे, जैसे सात दिन, सात सुर वैसे ही विवाह में सात फेरे। दरअसल, सात रंगों का हमारे पौराणिक मान्यताओं में विशेष स्थान है। अब जानते हैं सरल शब्दों में सात फेरों के सात वचन के बारे में।

पहला फेरा- परस्पर साथ का संकल्प
वर वधु पहले फेरा लेते हुए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वे विवाह को मजबूती से निभाएंगे। प्रत्येक काम एक दूसरे के साथ करेंगे। हरदम साथ निभाना अपना धर्म मानेंगे।
दूसरा फेरा- एक दूसरे उत्थान का वचन
दूसरा फेरा लेते हुए वर वधु एक दूसरे के साथ मिलकर सामाजिक, आर्थिक उत्थान का वचन लेते हैं। सुख समृद्धि का वादा करते हैं।
तीसरा फेरा- सौभाग्य व संतान के लिए
तीसरे फेरे में वर-वधु का जोड़ा भाग्यशाली संतान की कामना करते हैं। इसमें वचन लिया जाता है कि वे अपने संतान के साथ सुख पूर्वक जीवन गुजारेंगे।

चौथा फेरा- प्यार बनाए रखने के लिए
चौथा फेरा लेते हुए विवाहित जोड़ा एक दूसरे के साथ प्रेम व सौहार्द से जीवन गुजारने का वचन लेते हैं। अपने बीच संयम, समझदारी, और प्यार बनाए रखने की मंगलकामना करते हैं।
पंचम फेरा- प्रतिबद्ध रहेंगे नैतिक मूल्यों व सामाजिक कर्तव्यों के लिए
यह फेरा भी महत्वपूर्ण है जब विवाहित जोड़े धार्मिक मूल्यों, नैतिकता, और सामाजिक कर्तव्यों के प्रति एक दूसरे के प्रति प्रतिबद्धता का वचन लेते हैं।
छठा फेरा- मित्रवत बने रहने के लिए
छठा फेरा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जिसमें वर वधु को आपस में मिल जुलकर जीवनसंगी बने रहने रहने का वचन लेना होता है। आपसी मेल जोल बनाकर आगे बढ़ने का वादा करना होता है।
सातवां फेरा- सहायक बनने के लिए
हर काम में साथ बने रहना ही नहीं एक दूसरे की सहायता व सहयोग करते रहने का यह वचन भी महत्वपूर्ण होता है सुंदर साथ बनाए रखने के लिए। सातवां फेरा इसी वचन को समर्पित है।
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उक्त सभी फेरे पूरी जिम्मेदारी से लिए जाते हैं। इन वचनों को निभाकर ही दांपत्य जीवन सुखमय बनता है। इसलिए विवाह संस्कार स्वयं में खास होता है और इसके केंद्र में होती है सप्तसदी यानी सात फेरा।
(डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धर्म शास्त्र और सामान्य मान्यताओं पर आधारित है और केवल सूचना के लिए दी जा रही है। Vidhan News इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।)
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