Shami Leaves Vastu: शमी के पत्ते इस दिन भूल भी ना तोड़े, नाराज होते हैं शिवजी

Shami Leaves Vastu: शमी पत्र तोड़ने का एक नियम भी है, अगर आप अन्य दिन शमी की पत्तियां तोड़ते हैं तो अशुभ होता है।

Shami Leaves Vastu: हिंदू धर्म में पेड़- पौधों को देवताओं के बराबर दर्जा दिया गया है। इनमें शमी के पौधे को बहुत शुभ माना जाता है। इसकी पत्तियों को पूजा-पाठ में इस्तेमाल किया जाता है। शमी की पत्तियों को भगवान शिव को समर्पित किया जाता है। कयोंकि शमी के पौधे में शनि देव का स्थान होता है। इसलिए शिवजी को शमी पत्र प्रिय है। वास्तु शास्त्र में शमी पत्र को सकारात्मक ऊर्जा का स्त्रोत माना गया है। इसकी पूजा करने से कई समस्याओं का निवारण होता है। लेकिन शमी पत्र तोड़ने का एक नियम भी है, अगर आप अन्य दिन शमी की पत्तियां तोड़ते हैं तो अशुभ होता है। आईए जानते हैं शमी पत्र किस दिन तोड़ना चाहिए…


इस दिन ना तोड़े शमी पत्र 

हिंदू ज्योतिष में शमी के पौधे से जुड़ी विशिष्ट मान्यताएं हैं। शमी पौधे से शनि दोष दूर होते हैं। लेकिन शमी की पत्तियां किसी विशेष दिन में ही तोड़नी चाहिए। मान्यतानुसार यदि आप शमी की पत्तियां किसी गलत दिन में तोड़ते हैं तो शनिदेव नाराज हो सकते हैं और आपके जीवन में समस्याएं आ सकती हैं। ज्योतिषशास्त्र में इस बात का जिक्र है कि शमी की पत्तियां किसी विशेष त्यौहार जैसे दशहरा या छठ पूजा के दौरान नहीं तोड़नी चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि इन दिनों में शमी के पौधे की पूजा की जाती है इसलिए इसकी पत्तियां तोडना शुभ नहीं माना जाता है। इन दिनों में इन्हें तोड़ने के बजाय आप इसकी पत्तियां एक दिन पहले तोड़कर रख लें या पौधे के आस-पास गिरी हुई पत्तियों का इस्तेमाल पूजन में करें।

मंगलवार और शनिवार को ना तोड़े पत्तियां

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सप्ताह के दो दिन शमी पत्र भूल से भी नहीं तोड़ना चाहिए। मंगलवार और शनिवार को शमी के पत्ते तोड़ने से बचना चाहिए। ये दोनों दिन विशिष्ट देवताओं से जुड़े होते हैं। उन दिनों पत्तों को परेशान करने या तोड़ने से आपके घर में समस्याएं आ सकती हैं और शनि दोष लग सकते हैं। शमी की पूजा मुख्य रूप से शनिवार के दिन की जाती है।


सूतक काल में भी नहीं तोड़ते हैं पत्तियां

ज्योतिष के अनुसार सूर्य और चंद्र ग्रहण सहित ग्रहण के सूतक काल के दौरान भी शमी की पत्तियां न तोड़ने की सलाह दी जाती है। सूतक काल में पूजा करना भी वर्जित होता है। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं होता है। सूतक में किए गए कार्यों का अशुभ फल मिलता है।

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