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Shardiya Navratri 2025: नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री को लगाए इन चीजों का भोग, जीवन के सभी परेशानियां होगी दूर

Shardiya Navratri 2025: प्रथम दिन मां शैलपुत्री ( Maa Shailputri ) की पूजा होती है। मां दुर्गा के प्रथम रूप में शैलपुत्री ( Maa Shailputri Pujan Vidhi )  को सुख और शांति की देवी कहा जाता है।माता को सादगी बेहद पसंद है। मां शैलपुत्री हिमालय की पुत्री है।माता को खीर और राबड़ी का भोग लगाना चाहिए ऐसा करना शुभ माना जाता है।

Shardiya Navratri 2025
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Shardiya Navratri 2025: कल 22 अक्टूबर से नवरात्रि ( Navratri 2025 ) की शुरुआत हो रही है। नवरात्रि में हर दिन का अपना एक विशेष महत्व होता है और 9 दिनों तक बड़े धूमधाम के साथ मां दुर्गा की पूजा होती है।नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है।इस साल नवरात्रि का त्योहार 9 दिनों के बजाय 10 दिन मनाया जाएगा।कल से नवरात्रि की शुरुआत हो रही है और आज से ही बाजारों में खूब रौनक नजर आ रही है।

प्रथम दिन होती है मां शैलपुत्री की पूजा (Shardiya Navratri 2025)

प्रथम दिन मां शैलपुत्री ( Maa Shailputri ) की पूजा होती है। मां दुर्गा के प्रथम रूप में शैलपुत्री ( Maa Shailputri Pujan Vidhi )  को सुख और शांति की देवी कहा जाता है।माता को सादगी बेहद पसंद है। मां शैलपुत्री हिमालय की पुत्री है।माता को खीर और राबड़ी का भोग लगाना चाहिए ऐसा करना शुभ माना जाता है।माता को ऐसा भोग लगाने से जीवन की परेशानियां दूर होती है।मां शैलपुत्री का वाहन बैल है और मां के हाथ में कमल पुष्प और दूसरे हाथ में त्रिशूल रहता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अगर जीवन में परेशानियां है तो मां शैलपुत्री की पूजा विधि विधान से करें ऐसा करने से सभी परेशानियां दूर हो जाती है और सड़क के जीवन में खुशहाली आती है।

मां शैलपुत्री को लगाए इन चीजों का भोग

शैलपुत्री माता को गाय के दूध से बनी खीर का भोग अत्यंत प्रिय है। इसके साथ ही सफेद मिष्ठान जैसे रसगुल्ला या मलाई बर्फी भी अर्पित कर सकते हैं। इससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

मां शैलपुत्री के मंत्र

मूल मंत्र: ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः
वंदना मंत्र: वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखराम्। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम्।।

मां शैलपुत्री का महत्व

मां शैलपुत्री हिमालय की पुत्री हैं और उनकी पूजा से आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति होती है। वह शक्ति और साहस का प्रतीक हैं और पूजा से जीवन में स्थिरता और सुख की प्राप्ति होती है।

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