
Shardiya Navratri 2025: आज 22 अक्टूबर से नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। पूरे देश में बड़े धूमधाम से नवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है। सनातन धर्म में त्यौहार का विशेष महत्व है। नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा करने से जीवन की परेशानियां दूर होती है। नवरात्रि में अक्सर देखा जाता है कि माता के मंदिरों में खूब भीड़ रहता है। भारत में एक से बढ़कर एक चमत्कारी मंदिर है जहां बड़े पैमाने पर लोग दर्शन के लिए जाते हैं। आज हम आपको यह कैसे मंदिर के बारे में बताएंगे जहां माता को फल फूल और मिठाई से भोग नहीं लगाया जाता बल्कि माता को कंकर चढ़ाया जाता है। माता को कंकर और गिट्टी चढ़ाने से माता खुश होती है और जीवन की परेशानियां दूर कर देती हैं।
वनदेवी मंदिर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर के पास खमतराई में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है, जो अपनी अनोखी परंपरा के लिए जाना जाता है। इस मंदिर में देवी मां को फल-फूल नहीं, बल्कि विशेष प्रकार के पत्थर चढ़ाए जाते हैं, जिन्हें गोटा पत्थर या चमरगोटा कहा जाता है।
पत्थर चढ़ाने की अनोखी प्रथा (Shardiya Navratri 2025)
वनदेवी मंदिर में पांच पत्थर चढ़ाने की अनोखी प्रथा है, जिसके बारे में मान्यता है कि इससे भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भक्त मंदिर में पांच पत्थर लेकर आते हैं और देवी मां को प्रसन्न करने के लिए उन्हें चढ़ाते हैं।
मंदिर की विशेषता
वनदेवी मंदिर की एक विशेष बात यह है कि यहां देवी मां को सच्चे मन से पांच पत्थर चढ़ाने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामना जरूर पूरी होती है। मन्नत पूरी होने के बाद भी श्रद्धालु मंदिर में पांच पत्थरों का चढ़ावा चढ़ाते हैं।
इतिहास और परंपरा
वनदेवी मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है, और यहां की परंपरा का पालन सदियों से किया जा रहा है। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि वनदेवी के मंदिर में पांच पत्थर चढ़ाने की अनोखी प्रथा यहां सदियों से चली आ रही है।
वनदेवी मंदिर एक अनोखा धार्मिक स्थल है, जो अपनी विशेष परंपरा और मान्यताओं के लिए जाना जाता है। यहां की अनोखी प्रथा और देवी मां की कृपा से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।