Shri Shiv Chalisa Paath Benefits: हिंदू धर्म में अलग-अलग देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। मान्यता है कि देवों के देव ‘महादेव’ यानी भगवान शिव की साधना या पूजा हमें हर दुख और भय से मुक्ति दिलाती है। इसकी इतनी महिला कि केवल शिव चालीसा का सही तरीके से उच्चारण सही कर लेने से यह फलदायी होता है। नियमित पाठ करने से भक्तों के सारे कष्टों का निवारण हो जाता है। इसके बाद वे कठिन से कठिन काम भी आसानी से पूरा कर पाते हैं।
बता दें कि शिव चालीसा में भगवान शिव का स्तुतिगान है। इसे आप किसी भी दिन कर सकते हैं। हालांकि शास्त्रों में सोमवार का दिन चूंकि भगवान शिव को समर्पित है, इसलिए शिव चालीसा का पाठ सोमवार के दिन करना विशेष फलदायी माना गया है। तो आइए भागवताचार्य आचार्य आशीष राघव द्विवेदी जी से जानते हैं शिव चालीसा के की महिमा, महत्व और इसके अर्थ के बारे में…
Shri Shiv Chalisa Paath Benefits बनाता है निर्भय, निर्भीक
ऐसी मान्यता है कि शिव चालीसा का पाठ करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती ही है, व्यक्ति को सिद्धि-बुद्धि, धन-बल और ज्ञान-विवेक की भी प्राप्ति होती है। इस चालीसा के प्रभाव से जीवन में प्रगति होती है। इंसान आगे बढ़ता जाता है। कठिन काम भी वह आसानी से पूरा कर सकता है।
शिव चालीसा के पाठ की सरल विधि (Shri Shiv Chalisa Paath Benefits)
- प्रात: जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें।
- अपने मुंह को पूर्व दिशा में रखकर कुशा के आसन पर बैठें।
- सफेद चंदन, चावल, कलावा, धूप-दीप पीले फूलों की माला रखें।
- सफेद आक के 11 फूल भी रखें और शुद्ध मिश्री प्रसाद के लिए हों।
- पाठ से पूर्व गाय के घी का दिया जलाएं और एक लोटे में शुद्ध जल भरकर रख लें।
- शिवचालीसा का पाठ तीन या पांच बार पाठ करें।
- शिव चालीसा का पाठ करते हुए आवाज ऐसी हो कि और लोग भी इसका लाभ लें।
- पाठ पूर्ण भक्ति भाव से करना चाहिए।
- पाठ पूरा हो जाने पर लोटे का जल सारे घर में छिड़क दें।
- कुछ जल का पान स्वयं भी करें। मिश्री प्रसाद के रूप में ग्रहण कर शेष बच्चों में भी बाट दें।
शिव चालीसा का महत्व (Shri Shiv Chalisa)
- पाठ करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और परिवार पर उनकी असीम कृपा बनी रहती है।
- पाठ रोजाना विधिवत तरीके से करनी चाहिए तो उचित फल मिल सकता है।
- शिव चालीसा का रोजाना पाठ करने से भगवान शिव सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
- शिव चालीसा का पाठ करने से घर में भूत-प्रेत और दुख-दारिद्र का वास नहीं होता है।
- शिव चालीसा के पाठ से शारीरिक दुख दर्द भी दूर होते हैं और मानसिक शांति का अनुभव होता है।
शवि चालीसा की रचना संत अयोध्यादास ने की थी। भगवान् शिव की स्तुति में लिखी गयी शिव चालीसा में 40 चौपाई है।
मैना की दुलारी अर्थात् उनकी पुत्री पार्वतीजी उनके बायें भाग में सुशोभित हो रही हैं। आपके हाथ में त्रिशूल शोभायमान हो रहा है। आप अपने इस प्रलयंकारी त्रिशूल से सदैव दुष्टों और शत्रुओं का संहार करते हैं।
भगवान शंकर के समीप नंदी व गणेश जी ऐसे सुंदर लगते हैं, जैसे सागर के मध्य कमल शोभायमान होता है।
श्याम वर्ण कार्तिकेय और गौर वर्ण श्री गणेशजी की छवि का बखान करना किसी के लिए भी संभव नहीं है।
देवताओं ने जब भी सहायता की पुकार की हे नाथ! आपने तुरंत ही उनके दुख दूर किए।जब ताड़कासुर नामक राक्षस ने देवताओं पर तरह-तरह के उपद्रव (अत्याचार) करना प्रारम्भ किया तो सभी देवतागण उससे छुटकारा पाने के लिए आपकी शरण में दौड़े चले आए।
देवताओें की प्रार्थना को मानते हुए आपने उसी समय स्वामी कार्तिकेय को भेजा और उन्होंने जाकर शिवजी की दी हुई शक्ति से उस पापी राक्षस को मार डाला। आपने जलंधर नामक भयंकर राक्षस का संहार किया जिससे आपका यश पूरे संसार में फैला, उससे सभी लोग परिचित है।
आपने त्रिपुर नाम के भयंकर राक्षस से युद्ध करके सभी देवताओं पर कृपा कर उन्हें बचा लिया। जब भगीरथ ने माता गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए कठिन तप किया तब आपने अपनी जटाओं से गंगा की धारा प्रवाहित कर उनकी प्रतिज्ञा को पूरी की।
संसार के सभी दानियों में आपके समान बड़ा कोई दानी नहीं है। भक्त आपकी सदा ही वन्दना करते रहते हैं। आपके अनादि (प्राचीन) होने का भेद कोई बता नहीं सका। वेदों में भी आपके नाम की महिमा गाई गई है।
जब समुद्र का मंथन हो रहा था तब उसमें से अमृत के साथ विष की ज्वाला भी निकली। उस विष रूपी ज्वाला की लपट से देवतागण और दानव दोनों जलने लगे तथा जलन से व्याकुल हो उठे। उस संकट की घड़ी में केवल आप ही उनकी सहायता के लिए पहुंचे और सारा विष पीकर उनकी जान बचाई। इसी विष को पीने से आपका पूरा सारा शरीर नीला हो गया, जिसके कारण आप ‘नीलकंठ’ भी कहलाने लगे।
लंका पर चढ़ाई के समय रामेश्वरम में जब श्रीरामचन्द्र जी ने आपकी पूजा की तो आपकी कृपा से ही उन्होंने लंका पर विजय प्राप्त की और विभीषण को लंका का राजा बना दिया। जब श्रीरामचंद्रजी सहस्त्र कमलों के द्वारा आपकी पूजा कर रहे थे तो हे भोलेनाथ! अपनी माया के प्रभाव से उनकी परीक्षा ली।
आपने एक कमल का फूल अपनी माया से लुप्त कर लिया तो उनहोंने कमल के फूल के स्थान पर अपने नयन रूपी पुष्प से पूजन करना चाहा। जब आपने राघवेन्द्र की इस प्रकार की कठोर भक्ति देखी तो प्रसन्न होकर आपने उन्हें मनवांछित वरदान दिया।
जो अनंंत हैं और जो अविनाशी हैं, ऐसे भगवान शंकर की जय हो, जय हो, जय जय हो। सबके हृदय में निवास करनेवाले आप सब पर कृपा करते हैं। दुष्ट मुझे हमेशा सताते रहते हैं, जिससे मेरा मन हर समय भ्रमित रहता है और मुझे क्षण मात्र के लिए भी चैन नहीं मिलता है।
हे भोलेनाथ! बस मैं इन चीजों से ही तंग होकर आपकी शरण में आया हूं। इस संकट के समय आप ही मेरा उद्धार कर सकते हैं। अपने त्रिशूल से मेरे शत्रुओं को संहार करें और मेरा संकट से उद्धार करें।
माता-पिता और भाई इत्यादि सम्बन्धी सब सुख में ही साथी होते हैं। संकट आने पर कोई पूछता भी नहीं है।
हे जगत के स्वामी! आप ही ऐसे हैं जिससे मुझे आशा लगी हुई है। आप शीघ्र ही आकर मेरे इस घोर संकट को दूर कीजिए।
आप हमेशा गरीब और निर्धनों को धन आदि से सहायता करते हैं। जो कोई भी आपकी शरण में आता है और जैसी भक्ति करता है आप उसे वैसा ही फल देते हैं। हे नाथ! मैं किस प्रकार आपकी पूजा अर्चना और आराधना करूं, मुझे नहीं पता, इसलिए अगर आपके पूजन अर्चन में मुझसे कोई भूल हो तो आप मुझे माफ कर दीजिएगा।
शिव शंकर भोलेनाथ! आप ही सभी संकटों के मुक्ति दाता हैं, आपका नाम लेने मात्र से सभी शुभ कार्य पूरे हो जाते हैं।
योगीजन, यति व मुनिजन सदा आपका ही ध्यान करते हैं। नारद और सरस्वती भी आपको ही शीश नवाते हैं।
आपके स्मरण का मूल मंत्र ‘ऊं नमः शिवाय’ है। इस मन्त्र का जप करके भी ब्रह्मा आदि देवता आपका पार नहीं पा सके।
जो जातक इस शिव चालीसा का सच्चे मन और पूरी निष्ठा से पाठ करता है आप निश्चित ही उसकी सहायता करते हैं।
जो कोई भी प्राणी कर्ज के बोझ से दबा हुआ हो, वह अगर सच्चे मन से आपके नाम का जाप करे तो शीघ्र ही वह ऋण के बोझ से मुक्त हो जाता है।पुत्रहीन व्यक्ति यदि पुत्र-प्राप्ति की इच्छा से इसका पाठ करेगा तो निश्चय ही शिव की कृपा से उसे पुत्र प्राप्त होगा।
हर मास की त्रयोदशी तिथि को घर पर पण्डित को बुलाकर श्रद्धा पूर्वक पूजन और हवन करवाना चाहिए। जो व्यक्ति प्रत्येक त्रयोदशी को आपका व्रत करता है, उसके शरीर में कोई रोग-व्याधि नहीं रहता और उसके मन में किसी प्रकार की क्लेश की कोई भावना नहीं आती।
धूप, दीप और नौवेद्य से पूजन करके शंकरजी की मूर्ति के सामने बैठकर यह पाठ करना चाहिए। शिव चालीसा का पाठ (Shri Shiv Chalisa Paath Benefits) करके जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं और अन्त में मनुष्य शिवजी के पास वास करने लगता है अर्थात मुक्त हो जाता है।
अयोध्या दास जी कहते हैं कि हे शंकरजी! हमें आपसे ही आशा और उम्मीद है। आप मेरे सभी दुःखों को हर कर मेरी मनोकामनाएं पूर्ण करें।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान। अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
प्रातःकाल के नित्यकर्म के पश्चात् शिव चालीसा (Shri Shiv Chalisa Paath Benefits)
बार प्रतिदिन पाठ करने से भगवान शिव मनोकामना पूर्ण करेंगे। हेमंत ऋतु, मार्गशीर्ष मास की छठी तिथि संवत चौंसठ में यह चालीसा रूपी शिव स्तुति लोक कल्याण के लिए पूर्ण हुई।
यह भी पढ़ें- Hanuman Chalisa : हनुमान चालीसा का करें पाठ, जिंदगी रहेगी खुशहाल, जानें पाठ के फायदे
(डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र पर आधारित है और यहां केवल सूचना के लिए दी गई है। Vidhan News इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के जानकार से सलाह अवश्य लें।)
यह भी पढ़ें- Shani Chalisa Benefits: जानें शनि चालीसा का महात्म्य और इसके चमत्कारिक फायदे
तमाम खबरों के लिए हमें Facebook पर लाइक करें Twitter , Kooapp और YouTube पर फॉलो करें। Vidhan News पर विस्तार से पढ़ें ताजा-तरीन खबर।