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Shri Suktam Path: हर व्यक्ति चाहता है कि उसे कभी भी धन की कमी ना हो और इसके लिए लोग हर संभव प्रयास करते हैं। आप भी अगर माता लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो श्री सूक्त का पाठ करना चाहिए ऐसा करने से आपको कभी भी पैसों की कमी नहीं होगी और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलेगा।
श्री सूक्त पाठ (Shri Suktam Path)
ओम हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्त्रजाम्।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह॥
ओम तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम॥
ओम अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनाद्प्रमोदिनिम।
श्रियं देविमुप हव्ये श्रीर्मा देवी जुषताम ॥
ओम कां सोस्मितां हिरण्य्प्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम्।
पद्मेस्थितां पदमवर्णां तामिहोप हवये श्रियम्॥
ओम चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्ती श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम्।
तां पद्मिनीमी शरणं प्रपधे अलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे॥
ओम आदित्यवर्णे तप्सोअधि जातो वनस्पतिस्तव वृक्षोsथ बिल्वः।
तस्य फलानि तपसा नुदन्तु या अन्तरा याष्च बाह्य अलक्ष्मीः॥
उपैतु मां देवसखः कीर्तिश्च मणिना सह।
प्रदुर्भूतोsस्मि राष्ट्रेsस्मिन कीर्तिमृद्धिं ददातु में ॥
क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठमलक्ष्मीं नाशयाम्यहम्।
अभूतिमसमृद्धि च सर्वां निर्णुद में गृहात्॥
गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्यापुष्टां करीषिणीम्।
ईश्वरीं सर्वभूतानां तामिहोप हवये श्रियम्।
मनसः काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहि।
पशुनां रूपमन्नस्य मयि श्रियं श्रयतां यशः॥
कर्दमेन प्रजा भूता मयि संभव कर्दम।
श्रियम वास्य मे कुले मातरं पद्ममालिनीम्॥
आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस् मे गृहे।
नि च देवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले ॥
आद्रॉ पुष्करिणीं पुष्टिं पिंगलां पदमालिनीम्।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मी जातवेदो म आ वह॥
आद्रां यः करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम्।
सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मी जातवेदो म आ वह॥
तां म आवह जातवेदो लक्ष्मी मनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योाश्रान विन्देयं पुरुषानहम्॥
यः शुचिः प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम्।
सूक्तं पञ्चदशर्च च श्रीकामः सततं जपेत्॥
श्री सूक्त पाठ हिंदी में अर्थ सहित (Shri Suktam Path Hindi)
हे लक्ष्मी देवी ! आप कमलमुखी, कमल पुष्प पर विराजमान, कमल दल के समान नेत्र वाली हैं। कमल पुष्पों को पसंद करने वाली हैं। इस संसार में सभी जीव आपकी कृपा पाना चाहते हैं। आप सभी की इच्छा पूरी करने वाली हैं। आपके चरण कमल सदैव मेरे हृदय में बसे रहें।
हे माता लक्ष्मी! आपकी उत्पत्ति कमल से हुई है। हे कमलनयनी! मैं आपका स्मरण करता हूं। माता लक्ष्मी आप मुझपर अपनी कृपा बनाकर रखें। हे माता लक्ष्मी! आप अश्व, गौ, धन आदि देने में समर्थ हैं। हे देवी मुझपर भी अपनी कृपा करें और मुझे धन प्रदान करें। माता मेरी मनोकामनाएं को पूर्ण करें।
हे देवी! आप इस संसार के सभी जीवों की माता हैं। आप मुझकर अपनी करुणा दृष्टि डालें और आप मुझे संतान, धन-धान्य, हाथी-घोड़े, गौ, रथ आदि प्रदान करें। माता लक्ष्मी आप मुझे दीर्घ आयु बनाएं। हे माता आपमें बहुत ही सामर्थ्य है। आप अपनी कृपा दृष्टि से मुझे धन, वायु, अग्नि, जल, सूर्य, वरुण, बृहस्पति की कृपा दिलाएं और मुझे धन की प्राप्ति कराएं।
हे वैनतेय पुत्र गरुड़! इंद्र आदि सभी देवता जो अमृत पीने वाले हैं मुझे वह अमृतयुक्त धन प्रदान करें। जो व्यक्ति इस सूक्त का पाठ करता है उसके अंदर क्रोध मत्सर, लोभ और अन्य अशुभ कर्मों में वृत्ति नहीं रहती है। वह मनुष्य हमेशा सतकर्म की ओर ही चलता है।
हे माता लक्ष्मी ! आप हाथ में कमल धारण करती हैं। श्वेत वस्त्र, चंदन और माला से युक्त हे माता आप सभी के मन को जान लेती हैं माता मुझ दीन पर भी अपनी कृपा बरसाएं। भगवान विष्णु की प्रिय पत्नी, माता लक्ष्मी मैं आपको बारंबार नमस्कार करता हूं। मैं महादेवी लक्ष्मी का स्मरण करता हूं। मां लक्ष्मी मुझपर कृपा करो और हमे सत्कार्यों की तरफ प्रेरित करे। हम मां लक्ष्मी की आराधना करते हैं।
इ लक्ष्मी सूक्त का पाठ करने से व्यक्ति को तेज, यश, अच्छा स्वास्थ्य और आयु प्राप्त होती है। वह धन धान्य से युक्त होकर दीर्घायु होता है।
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