Significance Of Swastik: सनातन धर्म में स्वास्तिक चिन्ह बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। यह विशेष चिन्ह किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत के पहले उस स्थान पर अवश्य बनाया जाता है। यह चिन्ह कल्याणकारी माना जाता है और इसके बिना पूजा का भी शुभारंभ नहीं होता। लेकिन जितने इसके शुभ परिणाम है, उतने ही अशुभ परिणाम भी है। इस चिन्ह को बनाते समय अगर गलती से यह गलत बन जाता है तो इसके परिणाम विपरीत मिल सकते हैं।
स्वास्तिक चिन्ह का महत्व (Significance Of Swastik)
शास्त्रों में स्वास्तिक चिन्ह को भगवान विष्णु का आसन और माता लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। यह चिन्ह चारों दिशाओं से मंगल को आकर्षित करता है। साथ ही यह सौभाग्य सूचक भी माना जाता है। इस चिन्ह को चंदन, कुमकुम या सिंदूर के माध्यम से बनाने पर कई प्रकार के ग्रह दोष दूर हो जाते हैं और धन लाभ का भी योग बनता है। स्वास्तिक चिन्ह लाल अथवा पीले रंग का हो तो वह सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इसे घर के मुख्य द्वार और वाहनों पर बनाने के साथ-साथ गले में भी धारण किया जा सकता है। इसे गले में धारण करना शुभ माना जाता है खास तौर से विद्यार्थी जीवन में। गले में सोने या चांदी का स्वास्तिक चिन्ह धारण करने से इसके बहुत से शुभ परिणाम मिलते हैं।
भूलकर भी उल्टा न बनाएं स्वास्तिक चिन्ह
स्वास्तिक चिन्ह बनाते समय उसकी रेखाएं और कोण बिल्कुल सटीक होने चाहिए। स्वास्तिक चिन्ह को भूलकर भी उल्टा ना बनाएं या उसका प्रयोग करें। उल्टे स्वास्तिक चिन्ह के परिणाम भी शुभ की जगह अशुभ हो जाते हैं, जिससे हमें जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
वास्तु दोष दूर करता है ये चिन्ह (Significance Of Swastik)
अगर किसी जातक को वास्तु दोष की समस्या है तो उसे अपने घर के मुख्य द्वार पर लाल रंग का स्वास्तिक का चिन्ह बनाना चाहिए। साथ ही अपने वाहन पर भी लाल रंग का स्वास्तिक का चिन्ह लगाने से दुर्घटना की संभावना कम हो जाती है।
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