Bihari ji Mandir: भारत में कई ऐसी जगह है जिनका चर्चा देश-विदेश में होता है. भारत को संस्कृती का देश कहा जाता है और यहां पर कई चमत्कारी मंदिर है जिनके चर्चे विदेश में भी होते हैं. भारत का बिहार राज्य भी सांस्कृतिक धरोहरों को अपने अंदर समेटे हुआ है और यहां भी कई ऐसे जगह है जहाँ घूमने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं.
आज हम आपको बिहार के बांके बिहारी जी के मंदिर के बारे में बताएंगे जो बिहार के सबसे फेमस जगहों में से एक है. बक्सर जिला से इसकी दूरी 15 किलोमीटर है और राजधानी पटना से यह 126 किलोमीटर दूर है. इस चमत्कारी मंदिर का चमत्कार पूरे बिहार में देखने को मिलता है और इस मंदिर के चमत्कार को देखकर मुगल भी उल्टे पांव भाग गए थे.
बिहारी जी मंदिर का इतिहास (Bihari ji Mandir)
बिहारी जी मंदिर का इतिहास काफी दिलचस्प से भरा है. कहा जाता है कि इस मंदिर का इतिहास करीब 400 साल पुराना है. इस मंदिर का निर्माण 1825 में उस वक्त के डुमराव के तत्कालीन महाराजा जयप्रकाश सिंह के आदेश पर किया गया था. भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्ला खान और उनके पिता यहां शहनाई बजाया करते थे. यह मंदिर भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है और बिहार सहित देश के विभिन्न हिस्सों से भक्त अपनी मनोकामना और पवित्र प्रार्थना की पेशकश करने के लिए यहां आते हैं और उनकी मनोकामना पूर्ण भी होती है. बता दें कि इस मंदिर को कई बार मुगल लूटने की कोशिश किए लेकिन नाकामयाब रहे.
होती है राजसी आरती
ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर राजसी है, यहां बिहारी जी की पूजा आज भी राजसी तरीके से हीं की जाती है. यहां जो प्रसाद लगाया जाता है वो राज भोग होता है. भक्त जनों द्वारा प्रत्येक दिन यहां पांच आरती की जाती है. सुबह चार बजे हीं बिहारी जी और अन्य देवताओं को जगाकर उनकी आरती की जाती है. इसके बाद 9 बजे, फिर दोपहर 12 बजे आरती करने के बाद बिहारी जी को विश्राम करा दिया जाता है. उसके बाद शाम में 7 बजे और आखिरी आरती रात 9 बजे कर मंदिर का पट बंद कर दिया जाता है.
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