Dak Kanwar Yatra: क्यों शिव को अति प्रिय डाक कांवड़ यात्रा? जानें इसके खास नियम

Dak Kanwar Yatra: सावन के महीने कांवड़ यात्रा शुरू की जाती है। लाखों-हजारों शिव भक्त इस पवित्र यात्रा में भाग लेते हैं। भगवान शिव की ये कांवड़ यात्रा कई तरह की होती हैं।

Dak Kanwar Yatra: सावन का पवित्र महीना बस शुरू ही होने जा रहा है, भगवान शिव की भक्ति और कांवड़ यात्रा दोनों ही इस महीने के लिए बेहद खास माने जाते हैं। श्रावण मास (सावन) में भगवान शिवभक्तों द्वारा कांवड़ यात्रा करी जाती है। इस धार्मिक यात् के लिए सभी शिव भक्त बेहद ही उत्साहित रहते हैं।

कांवड़ यात्रा में शिवप्रेमी पवित्र नदियों से जल भरकर पैदल या डाक यात्रा करते हुए शिव मंदिरों में जाकर उस जल से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं और इस यात्रा का उद्देश्य भगवान शिव की अट्टू भक्ति और आराधना को करना होता है और उनकी कृपा को प्राप्त करना भी। कांवड़ यात्रा में एक डाक कांवड़ टाइप की भी यात्रा होती है और हर साल सावन में डाक कांवड़ लेकर जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जाती है रही है

Dak Kanwar Yatra: क्या होती है डाक कांवड़

डाक कांवड़ एक विशेष तरह की कांवड़ यात्रा होती है और इस कावड़ यात्रा को सबसे कठिन भरा माना जाता है। इसके लिए शिवभक्तों को यात्रा के कुछ कठोर नियमों का पालन करना होता है और इनका पालन करना बेहद ही जरूरी होता है।

इस यात्रा में एक बार कांवड़ उठा लेने के बाद सभी कांवड़ियों को भगवान शिव के जलाभिषेक होने तक बिना रूके चलना पड़ता है। डाक कांवड़ के दौरान सभी भक्त बिना रुके और बिना आराम किए दिन और रात दोनों समय पर चलते रहते हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि एक निश्चित अवधि में 24 घंटे के भीतर इस यात्रा को पूरी करनी होती है

कांवड़ यात्रा के मुख्य अंश

गंगा जल लाना

सबसे पहले कांवड़ियें सबसे पहले गंगा नदी से अपने-अपने पात्रों में भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए जल भरते हैं।

कांवड़- बांस की बनी

कांवड़ यात्रा के लिए शिलभक्त बांस की बनी कांवड़ का प्रयोगा करते हैं और इसमें दोनों ओर गंगा जल से भरे कैन या पात्र लटके होते हैं।

कांवड़ यात्रा के नियम

कांवड़ यात्रा में सभी शिवभक्तों को शुद्धता और संयम को ध्यान में रखते हुए तामसिक चीजों से पूरी तरह से परहेज करना होता है।

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