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Mahadev Ardhnarishwar Roop: अनोखा है भोलेनाथ का अर्धनारीश्वर रूप, जाने क्या थी इस रूप की पौराणिक कथा

Mahadev Ardhnarishwar Roop: यूं तो भगवान शिव के अनेकों रूप संसार में जाने जाते हैं, लेकिन उनमें से एक ऐसा भी रूप है जिसमें भोलेनाथ आधे पुरुष और आधी स्त्री के रूप में प्रकट हुए थे। भगवान शिव अत्यंत भोले हैं इसलिए उन्हें भोलेनाथ कहा जाता है। साथ ही वो देवों के देव भी हैं जिसके कारण उन्हें महादेव कहा जाता है। भगवान शिव ने अपनी इस अर्धनारीश्वर रूप से संसार को बताया था की स्त्री और पुरुष दोनों एक दूसरे के पूरक हैं, एक के बिना दूसरे का कोई अस्तित्व ही नहीं है। माना जाता है किसी रूप के बाद संसार में सभी प्राणी नर और मादा के रूप में आए। आइए जानते हैं भगवान ने क्यों धारण किया यह रूप और क्या है इसके पीछे की पौराणिक कथा।

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Mahadev Ardhnarishwar Roop
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क्यों भोलेनाथ ने लिया अर्धनारीश्वर रूप

शास्त्रों के अनुसार जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की तो उन्हें इसके विस्तार की चिंता होने लगी, जिसके बाद आकाशवाणी हुई कि ब्राह्मन्! मैथुनी सृष्टि की रचना करो। मैथुनी का अर्थ प्रजनन से है। उस वक्त नारियों की उत्पत्ति ना होने के कारण ब्रह्मा जी ऐसी सृष्टि की रचना करने में असफल रहे, जिसके बाद इस समस्या का हल निकालने के लिए उन्होंने भगवान शिव की कठोर तपस्या की। ब्रह्मा जी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अर्धनारीश्वर रूप में दर्शन दिए, जिसके बाद शिव जी ने अपने शरीर के आधे भाग से उमा देवी को अलग किया। शिव से शक्ति अलग होने के बाद शक्ति ने अपनी भृकुटी के मध्य से अपने ही सामान कांति वाली एक अन्य शक्ति की सृष्टि की और जिनका जन्म राजा दक्ष के घर उनकी पुत्री के रूप में हुआ था।

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भगवान के इस रूप की पूजा के महत्व

सावन के तीसरे सोमवार के दिन भगवान शिव के अर्धनारीश्वर रूप की पूजा की जाती है। मान्यता है कि भोलेनाथ के इस रूप की पूजा करने से अखंड सौभाग्य, आयु, संतान प्राप्ति,संतान की सुरक्षा, कन्या का विवाह, अकाल मृत्यु का निवारण और आकस्मिक धन की भी प्राप्ति होती है, इसलिए सावन के तीसरे सोमवार के दिन महादेव के इस रूप की पूजा पूरे विधि-विधान से करनी चाहिए।

 

(यह ख़बर विधान न्यूज के साथ इंटर्नशिप कर रहे गौरव श्रीवास्तव द्वारा तैयार की गई है।)

 

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