क्यों हैं “ॐ” का जाप करना इतना फायदेमंद, हर परेशानी से मिलेगी मुक्ति

हिन्दी धर्म में ॐ का ख़ुद में ही एक बहुत बड़ा महत्व हैं। हर धर्म में कोई ना कोई विशेष बात होती हैं। ऐसी ही बात करे हिंदू धर्म की तो इसमें भी बहुत सी विशेषताए हैं। वही बात करे हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथों व मंत्रों की तो उनके ज्ञान और उच्चारण से आप ना केवल अपने मन को शांत कर समते हैं बल्कि अपने दिमाग और शरीर दोनों को पूरी तरह से क़ाबू में कर सकते हैं। हिंदू धर्म में गायत्री मंत्र, हनुमान चालीसा जैसे कई मंत्र आरती और चालीसा व दोहे चौपाई है जिनके अर्थ में ही वीके अलग सुकून हैं। वही बात करे सबसे शक्तिशाली कहे जाने वाले मंत्र ॐ की तो इसकी शक्तिओं का तो अंदाजा इसके जाप से ही हो जाता हैं।

ॐ का क्या मतलब हैं?

ॐ के अर्थ की बात करे तो ॐ केवल एक पवित्र ध्वनि या मंत्र नहीं हैं बल्कि ये ख़ुद में ही कभी ना ख़त्म होने वाली शक्ति का प्रतीक हैं। ओम के पूर्ण अर्थ की बाद करे तो ओम तीन अक्षर से मिलकर बना हैं। पहले अक्षर हैं अ , इसका अर्थ उत्पन्न होने से हैं। दूसरा अक्षर हैं उ , इसका अर्थ उचाइयो पर उठना यानी विकास से हैं। और तीसरा अक्षर हैं म जिसका अर्थ मौन हो जाना हैं।

कैसे करे ओम का सही उच्चारण ?

ओम का उच्चारण काफी शांति व शक्ति प्राप्त करने वाला होता हैं लेकिन ओम का उच्चारण करने का सही तरीका क्या हैं, आइए जानते हैं-
ॐ को सही से बोलते समय पूरे शरीर के तीनों हिस्सो में कंपन होती हैं। ओम का पहला भाग यानी अ बोलते समय शरीर के निचले भाग यानी की नाभी में कंपन होती हैं। ओम का दूसरा भाग यानी कि उ बोलते समय शरीर के बीच के भाग यानी छाती के करीबी भाग में कंपन होती हैं और वही आखी भाग म बोलते हुए शरीर के ऊपरी भाग यानी गले में कंपन होती हैं। इस प्रकार से बोलते समय पूरे शरीर से सकारात्मक ऊर्जा निकलती हैं। बात करे सही उच्चारण कि तो अ 10 फ़ीसदी, उ 20 फ़ीसदी और म 50 फ़ीसदी बोला जाता हैं, जभी जाकर ओम का सही उच्चारण किया जाता हैं।

 

कैसे हुई थी ॐ की उत्पत्ति ? क्या हैं अर्थ

ऐसा माना जाता हैं कि ॐ की उत्पत्ति कैलाशनाथ शिव शंभु के मुख से हुई थी। ऐसे तो ऋग्वेद और यजुर्वेद में ॐ के कई उपनिषदों का ज़िक्र किया हैं। बात करे ओम के अर्थ की तो ओम शब्द का अर्थ हैं परमात्मा। परमात्मा, ईश्वर, जग के रचेता सभी ओम का अर्थ हैं।

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108 बार ओम बोलने का महत्व

ओम की शक्ति का अंदाजा इसके जाप से ही पता चल जाता हैं। 108 शिव का अंक माना जाता हैं कारण हैं मुख्य शिवंगों की संख्या। मुख्य शिवांगो की संख्या कुल 108 होती हैं। जिस रुद्राक्ष की माला का जाप किया जाता हैं उसमे भी कुल 108 रुद्राक्ष रहता हैं। ये अंक शुद्ध भी माना जाता हैं साथ ही इसको शिव से जोड़ा जाता हैं। इसीलिए 108 बार ओम का जाप करने से हमारा मन, बुद्धि व तन सभी तृप्त हो जाते हैं।

 

(यह खबर विधान न्यूज में इंटर्न कर रहीं कशिश नागर ने तैयार की है)

 

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