Bhagwan Shiv: हिंदू धर्म में भगवान शिव को अविनाशी माना जाता है। उनका न कोई शुरुआत है और न ही अंत। भगवान शिव का रहन-सहन और वेशभूषा बाकी देवताओं से काफी भिन्न है। भगवान शिव को भांग, धतूरा, सफेद पुष्प, दूध, भस्म आदि चढ़ते हैं। शिव पुराण के अनुसार भस्म धारण करने से मनुष्य सभी प्रकार के पापों से मुक्त हो जाता है। भस्म दो शब्दों से मिलकर बना है ‘भ’ अर्थात भर्त्सन यानी नाश हो और स्म यानी स्मरण होता है। क्या आप जानते हैं शिव जी को बस इतना प्रिय क्यों है? आइए जानते हैं इस लेख में…
भस्म के महत्व
शिव पुराण में बताया गया है की भस्म धारण करने से व्यक्ति सभी प्रकार के पापों से मुक्त हो जाता है। शिवजी का स्वरूप माना जाता है। भस्म धारण करने से मनुष्य शिवलोक का आनंद प्राप्त करता है और शिव का ही गुणगान करता रहता है। शिव पुराण में ब्रह्मा जी ने भस्म के बारे में नारद जी को बताया कि यह सभी प्रकार के शुभ फल देने वाला है और इसे लगाने से मनुष्य के सभी दुख और शोक नष्ट हो जाते हैं। भस्म आत्मिक बल में वृद्धि कर मृत्यु के समय भी आनंद प्रदान करता है।
महादेव को भस्म में चढ़ाने के फायदे
शिवजी को वैराग्य माना जाता है, जिस कारण से उन्हें भस्म चढ़ाना शुभ होता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार शिवजी अपना श्रृंगार भस्म से करते हैं। भगवान शिव को चढ़ाने से भक्त का मन सांसारिक मोह माया से मुक्त हो जाता है और उसे सभी प्रकार के कष्टों से भी मुक्ति मिल जाती है। हालांकि स्त्रियों का शिवलिंग पर भस्म चढ़ाना वर्जित माना जाता है।
भस्म से जुड़ी पौराणिक कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब माता सती की मृत्यु हो गई थी, तब उन्हें अपने कंधे पर लेकर भगवान शिव तांडव कर रहे थे। उस वक्त संसार के रुके हुए कामकाज को फिर से शुरू करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के मृत शरीर को भस्म कर दिया था। इसके पश्चात भगवान शिव सती के योग का दर्द सहन न कर सके और उन्होंने भस्म को सती का स्वरूप मान अपने तन पर लगा लिया। तभी से भगवान शिव को भस्म अतिप्रिय है।
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(यह ख़बर विधान न्यूज के साथ इंटर्नशिप कर रहे गौरव श्रीवास्तव द्वारा तैयार की गई है।)
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