Utpanna Ekadashi: हिंदू धर्म में अगहन महीने का विशेष महत्व है। मार्गशीर्ष महीने में उत्पन्ना एकादशी का त्यौहार आता है। उत्पन्ना एकादशी के दिन नियम धर्म से पूजा पाठ करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और व्यक्ति के जीवन में खुशहाली आती है। तो आईए जानते हैं उत्पन्ना एकादशी का व्रत का महत्व…
उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा (Utpanna Ekadashi Vrat Katha)
धार्मिक कथाओं के अनुसार एक बार मुर नामक दैत्य ने सभी देवताओं को पराजित कर दिया था। देवता दैत्य के भय से अपना स्वर्ग पर अधिकार छोड़ बैठे थे और असुर से परेशान होकर भगवान विष्णु के पास चले गए। भगवान विष्णु ने युद्ध के लिए मूर दैत्य को ललकारा और कई वर्षों तक दोनों के बीच भयंकर युद्ध चला।
युद्ध के दौरान भगवान विष्णु को थकान हो गई तो वह बद्रिकाश्रम की गुफा में विश्राम करने चले गए। जब इसकी भनक जब मुर दैत्य को लगी तो वह गुफा में चला गया और भगवान विष्णु पर हमला करने की कोशिश की। धार्मिक मान्यता है कि भगवान की योगनिद्रा से एक दिव्य शक्ति प्रकट हुई। जिसने मुर का वध कर दिया। यह शक्ति एकादशी के नाम से प्रसिद्ध हुई। मान्यता है इस घटना के बाद से भगवान विष्णु ने एकादशी को अपने भक्तों का कल्याण करने वाला व्रत घोषित किया।
उत्पन्ना एकादशी महत्व (Utpanna Ekadashi Mahatva)
उत्पन्ना एकादशी धार्मिक और आध्यात्मिक दोनों दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। वहीं अपने भक्तों को हर प्रकार के कष्टों से मुक्त करते हैं। यह व्रत पुण्यकारी और पापों का नाश करने वाला है। जो व्यक्ति उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखता है। उसे वैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है।
करें ये अचूक उपाय
उत्पन्ना एकादशी के दिन सुबह उठकर पूरे विधि विधान से पूजा करना चाहिए। पूजा करने के बाद दान पुण्य करना चाहिए और इस दिन ब्राह्मणों को भोजन जरूर कराना चाहिए। ऐसा करने से जीवन की सभी कठिनाई दूर हो जाती है और धन की प्राप्ति होती है।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। Vidhannews यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं।