Why Tulsi is dear to Lord Hanuman: सनातन धर्म में तुलसी का पौधा सिर्फ एक औषधीय वनस्पति नहीं, बल्कि देवी स्वरूप में पूजनीय माना गया है। वहीं दूसरी ओर, भगवान हनुमान को रामभक्ति का जीवंत स्वरूप कहा जाता है। ऐसे में जब तुलसी और हनुमान का नाम एक साथ लिया जाता है, तो इसके पीछे सिर्फ परंपरा नहीं बल्कि एक अत्यंत भावनात्मक कथा भी जुड़ी हुई है, जो धार्मिक ग्रंथों और लोकमान्यताओं में वर्णित है।
कई भक्त हनुमानजी को रोज़ तुलसी अर्पित करते हैं, उन्हें तुलसी की माला पहनाते हैं और तुलसी-पत्र पर राम नाम लिखकर चढ़ाते हैं। लेकिन सवाल यह उठता है — क्या सिर्फ परंपरा के कारण तुलसी चढ़ाई जाती है या इसके पीछे कई विशेष कारण भी है?
रामायण काल से जुड़ी है तुलसी की कथा (Why Tulsi is dear to Lord Hanuman)
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीराम के राज्याभिषेक के बाद अयोध्या में देवताओं का आगमन हुआ। भगवान शिव और माता पार्वती भी रामलला को आशीर्वाद देने पहुंचे। माता सीता ने सभी अतिथियों का आदर-सत्कार किया और भोजन की व्यवस्था की।
इसी दौरान भगवान शिव ने देखा कि अयोध्या में उपस्थित सभी देवगण हैं, पर राम के परम भक्त हनुमान कहीं दिखाई नहीं दिए। पूछने पर माता सीता ने बताया कि हनुमान बगीचे में विश्राम कर रहे हैं। जब शिवजी उनसे मिलने पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि हनुमान जी ध्यान की अवस्था में हैं और उनकी हर सांस से ‘राम-राम’ की ध्वनि निकल रही है। यह दृश्य इतना दिव्य था कि महादेव स्वयं उस नामस्मरण में डूब गए।
धीरे-धीरे लक्ष्मण जी भी वहीं पहुंचे और राम नाम में मग्न होकर नृत्य करने लगे। जब काफी देर तक कोई भी वापस नहीं लौटा तो स्वयं भगवान राम वहां गए। उन्होंने हनुमान को प्रेम से जगाया और सभी को भोजन के लिए बुलाया गया।
तुलसी से शांत हुई हनुमानजी की भूख
जब सभी भोजन करने बैठे, तो हनुमान जी भी माता सीता की आज्ञा से खाने लगे। लेकिन ऐसा प्रतीत हुआ मानो उनकी भूख समाप्त ही नहीं हो रही थी। माता सीता चिंतित हो उठीं और श्रीराम से इसका कारण पूछा। तब भगवान राम ने मुस्कुराते हुए कहा — “हनुमान के भोजन में एक तुलसी का पत्ता डाल दीजिए।”
जैसे ही तुलसी पत्र उनके आहार में डाला गया, हनुमान जी की भूख तुरंत शांत हो गई। तभी से तुलसी को हनुमानजी की प्रिय वस्तुओं में सर्वोच्च स्थान प्राप्त हुआ।
तुलसी अर्पण का आध्यात्मिक महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हनुमान जी को तुलसी अर्पित करने से—
नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है
संकट दूर होते हैं
मानसिक शांति मिलती है
मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं
भक्ति में स्थिरता आती है
हनुमानजी को तुलसी चढ़ाने की विधि
भक्त निम्न तरीकों से तुलसी अर्पित कर सकते हैं:
108 तुलसी पत्रों पर चंदन से “राम” लिखकर माला बनाकर अर्पित करना
11 या 21 पत्र श्रद्धा से चढ़ाना
शनिवार या मंगलवार को विशेष रूप से तुलसी अर्पण करना
पूजा के समय “हनुमान चालीसा” या “राम नाम” का जाप करना
तुलसी केवल पौधा नहीं, भक्ति का प्रतीक है
तुलसी का संबंध केवल पूजा से नहीं बल्कि आत्मिक शुद्धता से है। हनुमानजी और तुलसी का मिलन रामभक्ति की पराकाष्ठा का प्रतीक माना जाता है। जब भक्त सच्चे मन से तुलसी अर्पित करता है, तो उसकी श्रद्धा सीधे प्रभु तक पहुंचती है।
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