Hello UPI Payment: UPI पेमेंट करने की ये नई तकनीक कर देंगी आपको हैरान, जानें पूरा प्रोसेस यहां

Hello UPI Payment: पेमेंट करने की अब से एक नई तकनीक शुरू हो गई है। और ये वाला प्रोसेस पहले से आसान हो गया है, आइए जानते है...

Hello UPI Payment: डिजीटल युग का जमाना है, आप कुछ भी खरीदें सबसे पहले जेंब में हाथ फोन निकालने के लिए जाता है ताकि आप पेंमेंट कर सकते, इससे फायदा ये भी होता है कि खुल्ले पैसों की दिक्कत नहीं आती है, ऐसे में अगर आप ऑनलाइन पेमेंट करते हैं। तो कई दिक्कतें अपने आप खत्म हो जाती है। मोदी सरकार की पहल कैशलेस पेमेंट को भी इससे बढ़ावा मिलता है।

यह भी पढ़े:-UPI Payment: पैसा ट्रांसफर नहीं हो पाता? तो घबराए नहीं, समस्या कुछ भी हो, बिना रूके पेमेंट करें ऐसे..

UPI पेमेंट की पहुंच आम लोगों के लिए बेहद आसान है, लेकिन ऐसा भी कई देखा जाता है कि पेमेंट करते समय लोगों को परेशानी होती है। पेमेंट फेल होने पर यूजर्स इंतजार करके मायूस हो जाते हैं। ऐसी ही किसी परेशानी का सामना ना करना पड़े, इसके लिए पेमेंट करने की नई तकनीक को उभारा है। स्कैन कर नहीं बल्कि बोलकर भी पेमेंट करने का ये आसान तरीका आपके रास्ते को बेहद आसान कर देगा, आइए जानते है क्या है ये पूरी तकनीक…

Hello UPI Payment: ये है हेलो यूपीआई तकनीक

RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कुछ ही समय पहले “ग्लोबल फिनटेक फेस्ट” में NCPCI को लॉन्च किया था। NFC टैग का उदाहरण लेकर आपको समझाएं तो जिस तरह दो डिवाइस के बीच कोन्टेक्ट बनाकर घर, कार या फोन का लॉक खोला जाता है, बिल्कुल ऐसे ही एनएफसी तकनीक से पेंमेंट का तरीका बेहद आसान हो जाता है। इसी तकनीक का कोर्डिनेशन हेलो यूपीआई से व्याइस पेमेंट कराता है। कहीं से भी बोलकर पेमेंट करने का ये तरीका काफी खास है।

Hello UPI Payment: हेलो यूपीआई ऐसे करें इस्तेमाल

हेलो यूपीआई तकनीक का इस्तेमाल कर आप व्याइस यानी कि बोलकर पेमेंट करने के लिए किया जाता है। फोन कॉल, UPI पेमेंट ऐप और IOT (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) इसमें शामिल की गई है हैं। बिना फोन कॉल के जरिए हेलो यूपीआई बोलकर आप पेमेंट कर सकते हैं। और ये जानकारी NCPCI के द्वारा दी गई

Hello UPI Payment: ऑफलाइन भी कर सकते हैं पेमेंट

यूजर्स लाइट एक्स सुविधा का इस्तेमाल कर ऑफलाइन भी पेमेंट कर सकते हैं। आपको बताते चलें कि हेलो यूपीआई तकनीक के जरिए हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही भाषा में पेमेंट कर सकते हैं। इसके लिए IIT मद्रास के A14 भारत के साथ समझौता किया गया है।

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