Indian GCC Industry: भारतीय वैश्विक क्षमता केंद्र (Global Capability Centers – GCC) 2030 तक 100 अरब डॉलर (8.44 लाख करोड़ रुपये) के उद्योग के रूप में उभरने की दिशा में अग्रसर हैं। एक नई रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि इस उद्योग में 25 लाख से अधिक एक्सपर्ट्स काम करेंगे।
भारत में GCC की स्थिति
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में फिलहाल 1700 से अधिक GCC मौजूद हैं, जो हर साल 64.6 अरब डॉलर (करीब 5.5 लाख करोड़ रुपये) का रेवेन्यू उत्पन्न कर रहे हैं। आने वाले समय में ये GCC और अधिक विकसित होंगे। वर्तमान में इस उद्योग में 19 लाख लोग रोजगार प्राप्त कर रहे हैं, और समय के साथ इनकी संख्या में वृद्धि हो रही है।
उद्योग का रणनीतिक महत्व बढ़ना
भारत में GCC की संख्या लगातार बढ़ रही है, और इसके साथ ही इनका रणनीतिक महत्व भी बढ़ रहा है। पिछले पांच सालों में, आधे से अधिक GCC अपने पोर्टफोलियो और कार्यशैली में बदलाव कर चुके हैं। 2026 तक 70% GCC कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) तकनीक को अपनाने का लक्ष्य रख रहे हैं, जो इस क्षेत्र के विकास को और भी तेज करेगा।
लागत दक्षता और गुणवत्ता पर फोकस
भारत में GCC, पूर्वी यूरोप की तुलना में 40% कम उत्पादन लागत में काम कर रहे हैं, जो इसे वैश्विक प्रतिस्पर्धा में एक प्रमुख लाभ प्रदान करता है। इन केंद्रों का मुख्य ध्यान तकनीकी परिवर्तन पर है, जैसे कि मशीन लर्निंग, जिससे कामकाजी पेशेवरों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसके साथ ही, वे गुणवत्ता से समझौता किए बिना दक्षता बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं।
बेंगलुरु का प्रमुख स्थान
रिपोर्ट के अनुसार, बेंगलुरु को आईटी GCC के लिए ग्राहकों की पहली पसंद के रूप में पहचाना गया है। टीमलीज डिजिटल की रिपोर्ट में कहा गया है कि 36% ग्राहकों के लिए बेंगलुरु सबसे प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है। बेंगलुरु में देश के 37% पेशेवर काम कर रहे हैं, जो इसे भारत के प्रमुख टेक्नोलॉजी हब के रूप में स्थापित करता है।
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