Silver Hallmark: पहले केवल सोने पर ही हॉल मार्किंग दी जाती थी लेकिन अब उपभोक्ताओं को शुद्ध और गुणवत्तापूर्ण चांदी उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने फैसला किया है कि चांदी पर भी हॉलमार्किंग दी जाएगी। लेकिन अब चांदी के उत्पादन भी इस डायरी में शामिल हो गए हैं। उपभोक्ता विश्वास बढ़ाने और धातुओं की शुद्धता को सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है। चांदी पर हॉलमार्किंग मिलने से चांदी के गुणवत्ता अब अधिक मिलेगी।
हॉलमार्किंग का मतलब क्या है? (Silver Hallmark)
हॉलमार्किंग एक सरकारी प्रक्रिया है, जिसमें किसी धातु की शुद्धता और गुणवत्ता की जांच की जाती है और इसे प्रमाणित किया जाता है। भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा जारी हॉलमार्क यह भरोसा दिलाता है कि उत्पाद तय मानकों के अनुरूप है।
चांदी पर हॉलमार्किंग क्यों जरूरी है?
1. धोखाधड़ी से बचाव: हॉलमार्किंग से यह सुनिश्चित होगा कि उपभोक्ता नकली या अशुद्ध चांदी के उत्पादों से बच सकें।
2. शुद्धता की पुष्टि: इससे ग्राहकों को यह विश्वास मिलेगा कि वे जो चांदी खरीद रहे हैं, वह मानकों के अनुसार शुद्ध है।
3.उपभोक्ता का विश्वास: यह कदम बाजार में पारदर्शिता लाने और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए अहम है।
किन वस्तुओं पर लागू होगी हॉलमार्किंग?
यह नियम चांदी के गहनों, बर्तनों और अन्य चांदी की वस्तुओं पर लागू होगा। प्रत्येक उत्पाद पर BIS का हॉलमार्क और शुद्धता का संकेत अंकित होगा।
नई प्रक्रिया से जुड़ी चुनौतियां
हालांकि यह उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद है, लेकिन छोटे व्यवसायियों के लिए इसे लागू करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। हॉलमार्किंग प्रक्रिया को समझने और इसके लिए जरूरी उपकरणों की व्यवस्था करने में समय और संसाधन लग सकते हैं।
चांदी पर हॉलमार्किंग को अनिवार्य करना उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा और बाजार में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक सराहनीय कदम है। यह न केवल ग्राहकों को शुद्ध उत्पाद खरीदने का भरोसा देगा, बल्कि भारतीय बाजार की साख को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत करेगा।
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