Property Dispute: बिना वसीयत कैसे होता है प्रॉपर्टी का बंटवारा, जानिए क्या कहता है भारतीय कानून

Property Dispute: प्रॉपर्टी में बंटवारे का सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज वसीयत होता है। वसीयत में जो भी लिखा गया होता है उसी के हिसाब से संपत्ति में बंटवारा किया जाता है लेकिन कई बार ऐसा होता है किसी व्यक्ति की मृत्यु वसीयत लिखे बिना ही हो जाती है।ऐसे में परेशानियां बढ़ने लगती है। तो आईए जानते हैं वसीयत लिखे बिना अगर किसी की मृत्यु हो जाती है तो कैसे होता है संपत्ति का बंटवारा...

Property Dispute: आज के समय में संपत्ति के लिए मुकदमे और झगड़ा कोर्ट में आना मामूली बात हो गया है। संपत्ति से जुड़े कई मामले कोर्ट में लंबे समय से चल रहे हैं जिनका अभी तक फैसला भी नहीं हो पाया है। संपत्ति ( Rules of the property ) से जुड़े मामलों से बचने का सही तरीका है प्रॉपर्टी के नियमों के बारे में जानकारी होना।

प्रॉपर्टी में बंटवारे ( Division of property ) का सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज वसीयत होता है। वसीयत में जो भी लिखा गया होता है उसी के हिसाब से संपत्ति में बंटवारा किया जाता है लेकिन कई बार ऐसा होता है किसी व्यक्ति की मृत्यु वसीयत लिखे बिना ही हो जाती है।ऐसे में परेशानियां बढ़ने लगती है। तो आईए जानते हैं वसीयत लिखे बिना अगर किसी की मृत्यु हो जाती है तो कैसे होता है संपत्ति का बंटवारा…

बिना वसीयत कैसे होता है संपत्ति का बंटवारा (Property Dispute)

अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु बिना वसीयत लिखे हो जाती है तो ऐसे में संपत्ति विवाद (Property rules) से बचने के लिए सरकार ने कुछ कानून बनाया है। ऐसे में संपत्ति का बटवारा उत्तराधिकार कानून के अंतर्गत किया जाता है लेकिन यह प्रक्रिया आसान नहीं होता है। सबसे पहले जानते हैं क्या होता है वसीयत ( what is will and its rules)?

आपको बता दे की वसीयत कानूनी तौर पर पूरी तरह से वेद होता है। यह एक ऐसा डॉक्यूमेंट होता है जिसके आधार पर व्यक्ति की मृत्यु के बाद संपत्ति का बंटवारा किया जाता है।

अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु हो वसीयत लिखिए बिना हो जाती है तो घर में कानूनी लड़ाई शुरू हो सकती है। धर्म के आधार पर भी संपत्ति के बंटवारे ( rules for dividing property) का अलग-अलग नियम है। वसीयत के बिना संपत्ति का बंटवारा उत्तराधिकार कानून (Will Succession Rules) के अंतर्गत लिया जाता है।

जानिए कैसे काम करता है यह कानून

आपको बता दे की उत्तराधिकार कानून के अंतर्गत प्रॉपर्टी से जुड़े विवादों को रोका जाता है। कोई व्यक्ति 18 साल से ऊपर का है और मानसिक तौर पर स्वस्थ है तो वह अपनी वसीयत लिख सकता है और वसीयत में तमाम चीजों को डाला जाता है जिस पर व्यक्ति का मालिक आना हक होता है। हालांकि व्यक्ति चाहे तो उसका वसीयत कई बार बदला भी जा सकता है। वह अपना वसीयत किसी अन्य व्यक्ति के नाम से भी कर सकता है।

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