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Property Rights: क्या नाना-नानी की संपत्ति में नाती-नतिनी का हक बनता है? जानिए कानून क्या कहता है

Property Rights: नाना-नानी की संपत्ति पर नाती-नतिनी का स्वतः अधिकार नहीं होता, लेकिन वसीयत में नाम होने या मां के हिस्से के वारिस होने की स्थिति में वे कानूनी रूप से हकदार बन सकते हैं। इसलिए यदि आप अपनी हिस्सेदारी को लेकर स्पष्टता चाहते हैं, तो पारिवारिक दस्तावेज और वसीयत को ध्यान से समझना और आवश्यक होने पर कानूनी सलाह लेना बेहद जरूरी है।

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Property Rights:  परिवारिक संपत्ति को लेकर अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या नाना-नानी की प्रॉपर्टी पर नाती-नतिनी का कानूनी अधिकार होता है? कई मामलों में रिश्तेदारों के बीच विवाद इसी वजह से खड़ा हो जाता है कि कौन किस संपत्ति का वारिस माना जाएगा। आइए सरल भाषा में समझते हैं कि भारतीय कानून इस बारे में क्या कहता है।

सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि नाना-नानी की संपत्ति “मातृ पक्ष” की संपत्ति मानी जाती है, और ऐसी विरासत पर अधिकार के नियम माता-पिता के माध्यम से तय होते हैं। भारतीय उत्तराधिकार कानून (Hindu Succession Act, 1956) के अनुसार नाती-नतिनी को सीधा अधिकार तभी मिलता है जब नाना-नानी अपनी वसीयत में उनका नाम दर्ज करते हैं, यानी उन्हें “इच्छानुसार वारिस” बनाते हैं। यदि वसीयत नहीं बनाई गई है, तो संपत्ति सबसे पहले नाना-नानी के बच्चों यानी आपकी मां या मामा-मामी के नाम जाती है।

यदि मां (या नाना-नानी के अन्य बच्चे) जीवित हैं, तो नाती-नतिनी प्रत्यक्ष वारिस नहीं माने जाते। उनका अधिकार अपनी मां के माध्यम से आता है। लेकिन यदि नाना-नानी के निधन के समय आपकी मां जीवित नहीं हैं, तो कई मामलों में नाती-नतिनी “प्रतिनिधि उत्तराधिकारी” (representative heir) के रूप में हिस्सा पाने के हकदार हो सकते हैं।

नाती-नतिनी का अधिकार दो स्थितियों पर निर्भर करता है (Property Rights)

  1. वसीयत होने की स्थिति:
    • यदि नाना-नानी ने वसीयत बनाकर संपत्ति नाती-नतिनी के नाम की है, तो उनका स्पष्ट और पूरा हक बनता है।
  2. बिना वसीयत (intestate) की स्थिति:
    • संपत्ति पहले नाना-नानी के बच्चों में बंटती है।
    • यदि आपकी मां का देहांत हो चुका है, तो आप अपने मां के हिस्से के वारिस बन सकते हैं।
    • यदि आपकी मां जीवित हैं, तो नाती-नतिनी को सीधा हक नहीं मिलता।

कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी परिस्थितियों में परिवार को विवाद से बचने के लिए वसीयत बनवानी चाहिए, जिससे आगे किसी तरह का विवाद या भ्रम न रहे। आज के समय में कई परिवार अपने बच्चों और पोते-पोतियों के साथ-साथ नाती-नतिनी को भी अपनी वसीयत में शामिल कर रहे हैं ताकि संपत्ति का विभाजन पारदर्शी और शांतिपूर्ण हो सके।

सीधे शब्दों में कहें तो नाना-नानी की संपत्ति पर नाती-नतिनी का स्वतः अधिकार नहीं होता, लेकिन वसीयत में नाम होने या मां के हिस्से के वारिस होने की स्थिति में वे कानूनी रूप से हकदार बन सकते हैं। इसलिए यदि आप अपनी हिस्सेदारी को लेकर स्पष्टता चाहते हैं, तो पारिवारिक दस्तावेज और वसीयत को ध्यान से समझना और आवश्यक होने पर कानूनी सलाह लेना बेहद जरूरी है।

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