Sagility India IPO: हेल्थकेयर सेक्टर में काम करने वाली कंपनी Sagility India का आईपीओ आज, यानी मंगलवार से निवेश के लिए खुल गया है। निवेशक इसके लिए 7 नवंबर तक बोली लगा सकते हैं। इस आईपीओ की इश्यू प्राइस बहुत कम है, और इसका इश्यू साइज 2106 करोड़ रुपये है। ध्यान देने वाली बात यह है कि इसमें कोई नया शेयर जारी नहीं किया जाएगा; सभी शेयर ओएफएस (ऑफर फॉर सेल) के तहत जारी किए जाएंगे। कुल मिलाकर, 70.22 करोड़ शेयरों की संख्या होगी।
प्राइस बैंड क्या है?
इस मेन बोर्ड के आईपीओ में प्रति शेयर प्राइस बैंड 28 से 30 रुपये के बीच निर्धारित किया गया है। एक लॉट में 500 शेयर शामिल हैं, जिसके लिए निवेशक को 15,000 रुपये लगाने होंगे। एक रिटेल निवेशक अधिकतम 13 लॉट खरीद सकता है। शेयरों का अलॉटमेंट 8 नवंबर को होगा, जबकि इसकी लिस्टिंग 12 नवंबर को संभावित है।
ग्रे मार्केट में स्थिति
ग्रे मार्केट में इस आईपीओ को कोई खास भाव नहीं मिल रहा है। कुछ दिन पहले इसका जीएमपी (ग्रे मार्केट प्रीमियम) 3 रुपये था, लेकिन सोमवार को वह भी पूरी तरह गिरकर जीरो हो गया है। इसका अर्थ यह है कि अभी इस आईपीओ की मांग बहुत कम है, जो निवेशकों के लिए चिंता का विषय हो सकता है।
एक्सपर्ट्स की राय
इस आईपीओ में निवेश को लेकर एक्सपर्ट्स की राय मिली-जुली है। कारण यह है कि इसमें शेयर पूरी तरह से ओएफएस के तहत बेचे जाएंगे। इसके अलावा, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इसका वैल्यूशन लेवल काफी ज्यादा है।
स्वास्तिका इन्वेस्टमार्ट के अनुसार, Sagility India कंपनी विशेष रूप से अमेरिकी हेल्थ सर्विस मार्केट पर केंद्रित है। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम इसके संचालन को प्रभावित कर सकते हैं, इसलिए निवेशकों को इस आईपीओ में निवेश करने से पहले सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।
वहीं, मास्टर कैपिटल सर्विस के अनुसार, कंपनी के हेल्थकेयर पेयर्स और प्रोवाइडर्स के साथ गहरे, लॉन्ग टर्म और विस्तारित ग्राहक संबंध हैं। ऐसे में कंपनी में रुचि रखने वाले निवेशक लंबी अवधि के लिए आईपीओ में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं।
कंपनी का परिचय
Sagility India हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों, अस्पतालों और मेडिकल डिवाइस कंपनियों को तकनीकी समाधान प्रदान करती है। यह कंपनी अमेरिकी हेल्थ सर्विस पेयर्स और प्रोवाइडर्स को भी ये सॉल्यूशंस मुहैया कराती है।
हाल ही में, जून 2024 को समाप्त तिमाही में कंपनी के लाभ में 47.5% की गिरावट आई, जिसका मुख्य कारण ऑपरेटिंग मार्जिन में कमी और उच्च कर था। हालांकि, कंपनी का राजस्व 9.6% बढ़कर 1,223.3 करोड़ रुपये हो गया।
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