रिमोट वर्क क्या है , और कैसे हो करेगा आने वाले समय में ग्रो

कोरोना महामारी ने दुनियाभर में काम करने के तरीकों को बदल दिया। पहले जहां ज़्यादाकर एम्लोई ऑफिस जाकर काम करते थे, वहीं अब कई कंपनियों ने दूरस्थ कार्य, यानी रिमोट वर्क, को अपनाया है। इस बदलाव ने न केवल काम करने के तरीके में बदलाव किया है, बल्कि कंपनियों की कल्चर और मैनेजमेंट को भी नया रूप दिया है। आइए जानते हैं कि कैसे कंपनियां इस नए काम करने के तरीके को अपना रही हैं और इसके क्या फायदे और चुनौतियां हैं –

1. टेक्निकल रिसोर्सेज का इस्तमाल

रिमोट वर्क को सफल बनाने के लिए टेक्निकल रिसोर्सेज का इस्तमाल बढ़ गया है। कंपनियां अब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग टूल्स जैसे Zoom, Microsoft Teams और Google Meet का इस्तमाल कर रही हैं। इसके अलावा, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट टूल्स जैसे Trello, Asana और Slack भी काफी पॉपुलर हो गए हैं। ये साधन न केवल टीम के बीच कम्युनिकेशन को आसान बनाते हैं, बल्कि काम की ग्रोथ पर नज़र रखने में भी मदद करते हैं।

2. फ्लेक्सिबल वर्किंग हॉर्स

रिमोट वर्क का एक बड़ा फायदा है फ्लेक्सिबल वर्किंग हॉर्स । कंपनियां अब कर्मचारियों को अपने काम के घंटे चुनने की आजादी दे रही हैं। इससे कर्मचारियों की प्रोडक्टिविटी बढ़ी है क्योंकि वे अपने आरामदायक समय पर काम कर सकते हैं। इसके अलावा, यह कर्मचारियों को अपनी पर्सनल और प्रोफ़ेशनल जिम्मेदारियों के बीच बैलेंस बनाने में भी मदद करता है।

3. मेन्टल हेल्थ पर ध्यान

रमते वर्क के दौरान मेन्टल हेल्थ का ख्याल रखना भी जरूरी है। कई कंपनियां अब कर्मचारियों के मेन्टल हेल्थ के लिए काउंसलिंग सेशन, मेडिटेशन प्रोग्राम और वर्कशॉप्स आयोजित कर रही हैं। इससे कर्मचारियों को मानसिक रूप से स्वस्थ और खुश रहने में मदद मिलती है, जो उनकी प्रोडक्टिविटी को भी बढ़ाता है।

4. आउटकम बेस्ड असेसमेंट

अब कंपनियां एम्प्लोयी के काम का मूल्यांकन उनके द्वारा किए गए काम के आधार पर कर रही हैं, न कि उनके ऑफिस में बिताए गए समय के आधार पर। यह आउटकम बेस्ड असेसमेंट सिस्टम एम्प्लोयी को बेहतर परफॉरमेंस करने के लिए प्रेरित करती है और उन्हें अपने काम में ज्यादा फ्रीडम और जिम्मेदारी देती है।

5. वर्चुअल टीम बिल्डिंग

रिमोट वर्क के दौरान टीम भावना को बनाए रखना एक चुनौती हो सकता है। इसलिए कंपनियां अब वर्चुअल टीम बिल्डिंग का आयोजन कर रही हैं। इसमें वर्चुअल टीम मीटिंग्स, ऑनलाइन गेम्स और अन्य एक्टिविटीज शामिल हैं जो टीम के सदस्यों के बीच बेहतर हारमनी बनाने में मदद करती हैं।

6. ट्रेनिंग और डेवेलोपमेंट

कंपनियां अब एम्प्लोयी की स्किल्स डेवेलोप पर ज़्यादा ध्यान दे रही हैं। वे ऑनलाइन टेस्ट प्रोग्राम्स और वेबिनार आयोजित कर रही हैं ताकि एम्प्लोयी अपनी स्किल्स को बढ़ा सकें और बदलते समय के साथ तालमेल बैठा सकें। इससे न केवल एम्प्लोयी की एबिलिटी बढ़ती है, बल्कि कंपनी की प्रोडक्टिविटी भी बढ़ती है।

 

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