
Zero Balance Account Rules: बैंकों के जीरो बैलेंस वाले बचत खातों (Zero Balance Saving Account) से जुड़े नियमों में 1 जनवरी से बड़ा बदलाव होने जा रहा है। यह परिवर्तन उन करोड़ों ग्राहकों को प्रभावित करेगा जो बेसिक सेविंग्स बैंक डिपॉजिट अकाउंट (BSBDA) या जनधन सहित अन्य जीरो बैलेंस खातों का उपयोग करते हैं। नए नियम आपके बैंकिंग अनुभव को आसान भी बना सकते हैं और कुछ मामलों में थोड़ा बोझ भी बढ़ा सकते हैं। आइए समझते हैं कि बदलाव क्या हैं और आप पर इसका क्या असर होगा।
क्या बदलेगा नया नियम?
बैंकिंग सेक्टर से मिली जानकारी के अनुसार, अब जीरो बैलेंस अकाउंट में कुछ अतिरिक्त सेवाओं के लिए शुल्क (Service Charge) लिया जा सकता है। पहले इन खातों में कई सेवाएं बिल्कुल मुफ्त थीं, लेकिन नए बदलावों के बाद बैंक ग्राहकों से निम्न सेवाओं के लिए शुल्क वसूल सकते हैं—
- अतिरिक्त ATM निकासी
- चेक बुक के अधिक पन्ने
- ब्रांच में कैश डिपॉजिट की सीमा पार करना
- SMS अलर्ट सेवाओं पर शुल्क
हालांकि, खाते का मूल ढांचा वही रहेगा—अर्थात न्यूनतम बैलेंस रखने की कोई अनिवार्यता नहीं होगी।
क्यों किए जा रहे हैं बदलाव?
बैंकों का तर्क है कि लाखों जीरो बैलेंस अकाउंट्स पर लगातार बढ़ रहा ऑपरेशनल खर्च उनके लिए चुनौती बन रहा है। डिजिटल बैंकिंग बढ़ने के बाद भी ब्रांच ऑपरेशन, ATM मेंटेनेंस और सर्विस अपडेट का खर्च बढ़ता जा रहा है। इन बदलावों का उद्देश्य बैंकिंग सेवाओं को टिकाऊ (Sustainable) बनाना है।
ग्राहकों को क्या होगा फायदा?
डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा मिलेगा
मोबाइल बैंकिंग, यूपीआई और इंटरनेट बैंकिंग सेवाएं पहले की तरह फ्री रहेंगी
खातों में KYC अपडेट होने पर नई सुविधाएं जोड़ने की संभावना
कुछ बैंकों में जीरो बैलेंस खातों पर अब इंटरस्ट रेट बढ़ाने की तैयारी
कहां हो सकता है नुकसान?
ब्रांच से ज्यादा कैश निकालने या जमा करने पर चार्ज लग सकता है
यदि आप ATM पर ज्यादा निर्भर हैं तो शुल्क बढ़ सकता है
SMS अलर्ट चार्ज बढ़ने से मासिक खर्च थोड़ा बढ़ेगा
किसे अपनानी चाहिए सावधानी?
यदि आप हर महीने कई ब्रांच विजिट करते हैं, कैश लेनदेन ज्यादा करते हैं या बार-बार ATM का उपयोग करते हैं तो नए नियम आपको प्रभावित करेंगे। ऐसे में बेहतर रहेगा कि आप डिजिटल ट्रांजैक्शन का ज्यादा उपयोग करें और अपने खाते में KYC अपडेट रखें।
जीरो बैलेंस बचत खाते के नए नियम ग्राहकों को disciplined banking की ओर ले जा सकते हैं। डिजिटल लेनदेन करने वालों को इससे फायदा ही मिलेगा, जबकि कैश पर निर्भर लोगों को कुछ अतिरिक्त शुल्क चुकाने पड़ सकते हैं।
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