Self-Employment: भारत में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में स्व-रोजगार तेजी से बढ़ रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस क्षेत्र में लगभग 48% कर्मचारी अब खुद का बिजनेस कर रहे हैं। यह वृद्धि मुख्य रूप से स्टार्टअप्स के बढ़ते प्रभाव का परिणाम है, जिसने युवाओं में उद्यमशीलता को प्रोत्साहित किया है।
स्व-रोजगार की प्रवृत्ति केवल मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर तक सीमित नहीं है; कृषि, व्यापार और परिवहन जैसे अन्य क्षेत्रों में भी इसने अपनी पकड़ मजबूत की है। विशेष रूप से मैन्युफैक्चरिंग में महिलाओं की भागीदारी उल्लेखनीय है, जहां 77.8% महिलाएं स्व-रोजगार में सक्रिय हैं। बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री, मदन सबनवीस के अनुसार, कई महिलाओं ने नए व्यवसाय शुरू किए हैं और वे घर से काम कर रही हैं, जो उनकी आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा दे रहा है।
स्व-रोजगार के कारण
नौकरियों की कमी
रोजगार के अवसरों की कमी ने कई लोगों को अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रेरित किया है।
कमजोर आय स्रोत
स्व-रोजगार लचीले कार्य समय और आय स्रोत प्रदान करता है, जो खासकर परिवारों के लिए फायदेमंद है।
राइड-हेलिंग सेवाओं का विस्तार
परिवहन क्षेत्र में राइड-हेलिंग सेवाओं के बढ़ने ने स्व-रोजगार के अवसरों को बढ़ाया है। इससे कई लोग अपनी गाड़ियों के माध्यम से आय अर्जित कर रहे हैं।
स्व-रोजगार के प्रकार
Own Account Employees
अधिकांश स्व-रोजगार करने वाले लोग इस श्रेणी में आते हैं, जो अपने खुद के बिजनेस चला रहे हैं।
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Employers and Assistants in Household Enterprises
कुछ लोग घरेलू उद्यमों में कार्यरत हैं, जो परिवारिक व्यवसायों को संचालित करते हैं।
भारत में स्टार्टअप्स के बढ़ने से स्व-रोजगार ने इस वृद्धि को और भी तेज किया है। कृषि क्षेत्र में स्व-रोजगार की संख्या सबसे अधिक है, इसके बाद व्यापार और परिवहन का स्थान आता है। इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के वरिष्ठ आर्थिक विश्लेषक, पारस जसराय का कहना है कि स्व-रोजगार में वृद्धि अनौपचारिक काम की ओर बढ़ते रुझान को दर्शाती है, जिसे नौकरियों की कमी और लचीले आय स्रोतों की आवश्यकता ने बढ़ावा दिया है।