Success Story: कहते हैं-सपनों का आकार नहीं, हौसलों की ऊँचाई मायने रखती है। उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के जटपुरा गांव के रहने वाले मोइन अहमद ने यह बात सच कर दिखाई। साधारण परिवार में जन्मे मोइन ने न सिर्फ जीवन की कठिनाइयों का सामना किया, बल्कि देश की सबसे कठिन परीक्षा UPSC को पास कर IAS अधिकारी बने। उनकी कहानी बताती है कि परिस्थितियाँ भले ही साधारण हों, लेकिन सोच और मेहनत असाधारण होनी चाहिए।
बचपन के सपने और जिम्मेदारियों का बोझ
मोइन के पिता वली हसन यूपी रोडवेज में बस ड्राइवर हैं, जबकि उनकी मां तसलीम जहां गृहिणी हैं। पांच भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर होने के चलते मोइन ने बचपन से ही जिम्मेदारियों को बखूबी समझा।
क्रिकेट उनका पहला प्यार था, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर थी कि यह सपना जल्द ही टूट गया।
परिवार की मदद करने के लिए मोइन ने किशोर उम्र में ही कमाना शुरू कर दिया। एक साइबर कैफे में काम करते हुए वे रोज़ाना मेहनत से अच्छी कमाई करने लगे। इसी दौरान उन्हें पहली बार लगा कि वे अपने जीवन का रास्ता बदल सकते हैं—यहीं से UPSC का सपना जन्मा।
सपनों के रास्ते में विरोध और संघर्ष
जब मोइन ने सिविल सेवा की तैयारी करने का फैसला लिया, तो हर कोई उनसे सहमत नहीं था।
उनके पिता को लगता था कि बेटा जो कमाई कर रहा है, वह स्थिर है—ऐसे में सब छोड़कर UPSC की अनिश्चित राह चुनना जोखिम भरा है। कुछ रिश्तेदारों ने तो यह भी कह दिया कि यह फैसला उनका करियर बर्बाद कर देगा।
लेकिन मोइन को अपनी मंज़िल पर विश्वास था। मां ने भी बिना शर्त उनके फैसले का साथ दिया।
दिल्ली की राह, लोन और लगातार नाकामियां
साल 2019 में मोइन ने साइबर कैफे की नौकरी छोड़ दी और तैयारी के लिए दिल्ली पहुंचे। रहने और कोचिंग के खर्च के लिए उन्हें ढाई लाख रुपये का लोन लेना पड़ा।
उन्होंने दिन-रात मेहनत की, लेकिन शुरुआती तीन प्रयास लगातार असफल रहे।
तीन नाकामियों के बावजूद मोइन टूटे नहीं। उन्होंने हर गलती से सीखा, अपनी रणनीति बदली और खुद को और बेहतर बनाया।
चौथे प्रयास में चमका किस्मत का सितारा (Success Story)
मोइन अहमद की दृढ़ता आखिरकार रंग लाई।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा 2022 में उन्होंने 296वीं रैंक हासिल कर सबको चौंका दिया।
उनका चयन IAS (पश्चिम बंगाल कैडर) के लिए हुआ वह दिन मोइन, उनके परिवार और पूरे गांव के लिए गर्व का क्षण था।
मोइन की यात्रा हमें यही सिखाती है कि—साधारण पृष्ठभूमि कोई बाधा नहीं,मेहनत और विश्वास सबसे बड़े हथियार हैं,और चाहे कितनी भी बार असफलता मिले, हार नहीं माननी चाहिए।
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