Home ट्रेंडिंग Dilip Kumar Tragedy King : ऐसा बदली दिलीप कुमार की किस्मत, बने...

Dilip Kumar Tragedy King : ऐसा बदली दिलीप कुमार की किस्मत, बने बॉलीवुड के ‘ट्रेजडी किंग’

दिलीप कुमार साहब

दिलीप कुमार साहब : 30 दिसम्बर सन 1955 को बिमल रॉय की महत्वाकांक्षी फ़िल्म “देवदास”, जो कि मशहूर बंगाली उपन्यासकार शरतचन्दर के उपन्यास पर आधारित थी, भारत के तमाम सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई.बिमल रॉय को फिल्म से बहुत उम्मीदें थी मगर फ़िल्म क्रिटिक्स की तारीफ़ पाने के बावजूद, बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कारोबार नहीं कर सकी.इसका नतीजा यह हुआ कि बिमल रॉय की कंपनी बिमल रॉय प्रोडक्शन भयंकर आर्थिक संकट में फंस गयी.अब एक सुपरहिट कमर्सिअल फ़िल्म ही बिमल रॉय को इस आर्थिक अस्थिरता से बाहर निकाल सकती थी.

इसी दौरान बिमल रॉय की मुलाक़ात मशहूर फ़िल्मकार और लेखक ऋत्विक घटक से हुई. ऋत्विक घटक साहब ने एक फ़िल्म की कहानी लिखी हुई थी.जब बिमल रॉय ने कहानी सुनी तो उन्हें वो बेहद पसंद आई और उन्होंने उसी पल यह फ़ैसला किया कि वह इस कहानी को लेकर अपनी अगली फ़िल्म बनाएँगे.

फ़िल्म का नाम तय किया गया ” मधुमती”.

Madhumati
Madhumati

सबसे पहले बिमल रॉय ने फ़िल्म निर्माण के लिए अपनी टीम बनानी शुरू की. बिमल रॉय ने अपने असिस्टेंट डायरेक्टर देबू सेन के साथ फ़िल्म की कहानी को विकसित करना शुरू किया. इसके बाद बिमल रॉय ने फ़िल्म के संवाद लिखने के उर्दू के मशहूर लेखक राजेन्द्र सिंह बेदी को याद किया. ऋतिक घटक ने फ़िल्म का स्क्रीनप्ले लिखा.

इसके बाद फ़िल्म के संगीत निर्माण की ज़िम्मेदारी संगीतकार सलील चौधरी और गीत लेखन का कार्य गीतकार शैलेन्द्र को सौंपा गया. फ़िल्म के गीतों को आवाज़ देने के लिए गायक मुकेश,मोहम्मद रफ़ी,मन्ना डे,ग़ुलाम मोहम्मद,द्विजेन मुखोपाध्याय और गायिका लता मंगेशकर,मुबारक बेग़म,आशा भोसले,सबिता चौधरी को साइन किया गया.

बिमल रॉय अभिनेता दिलीप कुमार (Dilip Kumar) और अभिनेत्री वैजयन्तीमाला को अपनी २ फ़िल्मों के लिए साइन कर चुके थे.पहली फ़िल्म “देवदास” बेस्ट हिंदी फीचर फ़िल्म का राष्ट्रीय पुरुस्कार हासिल कर चुकी थी,मगर बॉक्स ऑफ़िस पर विफल रही थी.इसक बावजूद दिलीप कुमार और वैजयन्तीमाला बिमल रॉय के साथ फ़िल्म “मधुमती” का हिस्सा बनने के लिए तैयार थे.इस तरह दिलीप कुमार और वैजयंतीमाला को फिल्म की मुख्य भूमिकाओं के लिए कास्ट कर लिया गया.अन्य किरदारों को निभाने के लिए अभिनेता प्राण,जॉनी वाकर,जयंत,तरुण बोस को कास्ट किया गया.

दिलीप कुमार साहब

उस वक़्त तक उमूमन फ़िल्में इंडोर लोकेशन्स में ही शूट की जाती थी.मगर इस बार बिमल रॉय ने फैसला किया कि फ़िल्म की शूटिंग किसी हिल स्टेशन पर आउटडोर शूट में होगी.बहरहाल तय किया गया कि नैनीताल,घोड़ाखाल और रानीखेत में फ़िल्म की शूटिंग की जाएगी.पूरी टीम के साथ बिमल रॉय रानीखेत पहुँचे और छह हफ़्तों की शूटिंग के बाद फ़िल्म का काम संपन्न हुआ.

उस वक़्त आज के दौर की तरह फ़िल्म मॉनिटर की सुविधा मौजूद नहीं थी,जिससे जो शूट हुआ है उसे तुरंत देखा जा सके.इसके कारण जब फ़िल्म के नेगेटिव विकसित किए गये तो उसमें देखा गया कि शूटिंग का अधिकतर हिस्सा धुंध और कोहरे के कारण साफ़ नहीं आ सका था.अब दोबारा से रानीखेत जाकर शूटिंग करना मुमकिन नहीं था इसलिए खराब हुए सीन्स को फिर से शूट करने के लिए वैतार्ण डैम नासिक महराष्ट्र और आरे मिल्क कॉलोनी में सेट्स लगाए गये.यहाँ नैनीताल की लोकेशन्स को मैच करने के लिए नकली चीड़ के पेड़ लगाए गये.इसके साथ ही धुंध और कोहरे के गैस बॉम्ब का इस्तेमाल किया गया.इस तरह फिल्म की शूटिंग पूरी की गई.

फ़िल्म की आउटडोर शूटिंग और रिशूट के कारण फ़िल्म का बजट बहुत ज़ियादा हो गया और उस वक़्त 8 मिलियन रुपयों के पार पहुँच गया.इसके कारण बिमल रॉय और उनकी कंपनी बिमल रॉय प्रोडक्शन की माली हालत खस्ताहाल हो गई.ऐसे में दिलीप कुमार सामने आए और उन्होंने फ़िल्म वितरकों के लिए फ़िल्म “मधुमती” की स्पेशल स्क्रीनिंग रखवाई.इसके साथ ही बिमल रॉय ने फ़िल्म वितरकों से अपनी माली हालत का ज़िक्र किया और अपनी फ़ीस 70 हज़ार रूपये छोड़ने की पेशकश की.

दिलीप कुमार साहब

 

 

 

 

 

 

 

 

उस दौर के लिए फ़िल्म मधुमती एक नई चीज़ थी.तब पुनर्जन्म के विषय को लेकर सिनेमाई पर्दे पर काम नहीं किया गया था.इसका नतीजा यह हुआ कि फ़िल्म वितरक फ़िल्म देखकर बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने फ़िल्म की रिलीज़ के लिए पैसा लगाने का आश्वाशन दिया.

इस सबके बीच आखिरकार 12 सितम्बर 1958 को फ़िल्म मधुमती सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई.फ़िल्म अपने शुरुवाती हफ़्ते में ही सुपरहिट घोषित कर दी गई.फ़िल्म में दिलीप कुमार,वैजयंतीमाला,प्राण के काम को ख़ूब पसंद किया गया था.फ़िल्म का गीत संगीत भी बेहद लोकप्रिय हो रहा था.फ़िल्म ने बॉक्स ऑफिस पर कमाई के सभी रिकॉर्ड तोड़ डाले.उस वक़्त के हिसाब से 40 मिलियन रुपयों की कमाई के साथ फ़िल्म मधुमती उस साल की सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्म बनी.बिमल रॉय और उनकी कंपनी की आर्थिक स्थिति मजबूत हो गई.मधुमती वह पहली फ़िल्म थी, जिसे देश के बाहर भी रिलीज़ किया गया.

फ़िल्म मधुमती को उस वर्ष के फ़िल्मफेयर अवार्ड्स में नौ पुरुस्कार श्रेणियों के लिए सम्मानित किया गया.इसमें बेस्ट फ़िल्म,बेस्ट डायरेक्टर,बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर आदि अवार्ड्स शामिल थे.मधुमती का नौ श्रेणियों में फ़िल्मफेयर अवार्ड्स जीतने का रिकॉर्ड सन 1995 में आई फ़िल्म दिलवाले दुल्हनिया ले जाएँगे ने तोड़ा,जिसने 10 श्रेणियों में फ़िल्मफेयर अवार्ड्स जीते.

फ़िल्म मधुमती आने वाले वर्षों में पुनर्जन्म के आधार पर बनने वाली तमाम सुपरहिट फ़िल्मों मिलन,महबूबा,कर्ज़,ओम शांति ओम के लिए एक प्रेरणाश्रोत रही।

तमाम खबरों के लिए हमें Facebook पर लाइक करें Twitter , Kooapp और YouTube  पर फॉलो करें। Vidhan News पर विस्तार से पढ़ें ताजा-तरीन खबरें

Exit mobile version