देश-दुनिया में हर दिन कोई न कोई फिल्म ज़रूर रिलीज़ होती है। सभी फिल्मों की अपनी-अपनी कहानियां होती है। कोई फ़िल्म ड्रामा पे आधारित होती है तो कोई थ्रिलर, कोई अंग्रेजी में रिलीज होती है तो हिंदी, लेकिन सभी फिल्मों में एक चीज़ है जो कभी नही बदलती और वो है फिल्म का Discalimer। हर फिल्म के शुरू होने से पहले आपको ये जरूर लिखा मिलेगा की ‘ये फिल्म काल्पनिक घटनाओं पर आधारित है और इसका जीवित और मृत किसी भी शख्स से कोई वास्ता नहीं। अगर किसी की कहानी इससे मिलती है, तो वो बस एक संयोग मात्र है।
ये Disclaimer किसी भी फिल्म के शुरू होने से पहले दिखाया जाता है, पर क्या कभी आपने सोचा की ऐसा क्यों होता है। तो आइए आज हम जानते है डिस्क्लेमर का संपूर्ण इतिहास।
सिनेमा में कब हुई Disclaimer की शुरुआत?
दरअसल 1933 में एमजीएम(Metro-Goldwyn-Mayer) जो की तीन फिल्म निर्माता कंपनी का समूह है ने ‘रसपुतिन एंड द एंप्रेस’ नामक बायोपिक बनाई थी जिसे लेकर काफी विवाद हो गया था। इस बायोपिक में दिखाया गया की रसपुतीन ने युसुपोव की पत्नी आइरिन का बलात्कार किया था , जिसके बाद युसूपोव ने अदालत में 89लाख 58हजार 950रुपए का दावा ठोका और फिल्म में दिखाई गई कई बातों को गलत ठहराया। इस दावे में रसपुतिन की मौत और रसपुतिन का आइरिन से मिलना भी शामिल था। इस विवाद में रसपुतिन को जीत मिली और इसके बाद ही कोर्ट ने एक एहम फैसला लिया की अब से हर फिल्म के पहले डिस्क्लेमर दिखाया जायेगा ताकि फिल्म की पटकथा को लेकर किसी तरह का विवाद न हो सके।
कौन हैं रसपुतिन और युसुपोव?
ग्रेगोरी रसपुतिन का जन्म 1869 में एक किसान परिवार में हुआ था, लेकिन रसपुतिन अपना खानदानी पेशा छोड़कर साधु बनने की राह पर चल दिए। कुछ समय पश्चात् रसपुतिन जो भी बात बोलते वो सच होने लगी जिसके कारण लोग उनकी सभी बातों पर विश्वास करने लगे। आखिरकार 1906 में रूस के शाही दरबार में ये बात पहुंची तो शाही परिवार की रानी एलेक्जेंड्रा ने अपने बेटे एलेक्सी के इलाज के लिए रसपुतिन को बुलाया। न जाने कैसे रसपुतिन के आने के बाद उनके बेटे की तबीयत सुधरने लगी जिसके बाद रानी ही नही बल्कि पूरा सही दरबार रसपुतिन का दीवाना हो गया और रसपुतिन को सही दरबार का सदस्य बना दिया गया। रसपुतिन के बारे में ऐसा भी कहा जाता है की प्रथम विश्व युद्ध उसी के कहने पर लड़ा गया था। उन्हीं दिनों रसपुतिन के सनकपन और एलेक्जेंड्रा के साथ शारीरिक संबंध के किस्से भी फैलने लगे।
विश्वयुद्ध के दौरान रूस में हुए भारी नुकसान का जिम्मेदार रसपुतिन को ठहराया जाने लगा जिसके बाद सही परिवार के अंतिम प्रतिनिधि राजकुमार फेलिक्स युसुपोव ने रसपुतिन को एक पार्टी के दौरान खाने में ज़हर दे दिया, लेकिन उसका कोई असर रसपुतिन पर नही हुआ तो गुस्से में आकर युसुपोव ने रसपुतिन के पेट में 3 गोलियां मारी। गोली लगने के थोड़ी देर बाद ही रसपुतिन फिर खड़ा हो गया तो गुस्से में लोगों ने उसे बहुत पीटा और एक कपड़े में बांधकर नदी में फेक दिया जिसके बाद रसपुतिन की मृत्यु हो गई।
(यह ख़बर विधान न्यूज के साथ इंटर्नशिप कर रहे गौरव श्रीवास्तव द्वारा तैयार की गई है)
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